मुंबई , अक्टूबर 10 -- बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मुंबई पुलिस को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत एक 15 वर्षीय लड़की के खिलाफ आरोपपत्र दायर करने से रोक दिया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी बालिका ने अपने सहपाठी और उसकी मां को अश्लील संदेश भेजे।
न्यायालय ने पॉक्सो के तहत अपराध दर्ज करने पर सवाल उठाया, क्योंकि पीड़िता और आरोपी दोनों नाबालिग हैं।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की खंडपीठ आरोपी लड़की की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग करते हुए तर्क दिया था कि वह अपनी सहपाठी के साथ सिर्फ एक मजाक कर रही थी। यह याचिका उसके पिता ने दायर की थी।
10 जुलाई को कांदिवली पुलिस ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें एक 15 वर्षीय लड़की ने कहा कि उसे एक अज्ञात नंबर से एक संदेश मिल रहा है जिसमें कोई उससे प्यार करने का दावा कर रहा है।उसे लगा कि भेजना वाला कोई पुरुष है तो उसने नंबर ब्लॉक कर दिया। हालांकि उसे फिर उसी तरह के संदेश सोशल मीडिया पर भी आने लगे।
इसके बाद पीड़िता की मां को भी उसी तरह के संदेश आने लगे। हालांकि जब उसकी मां ने भी उस नंबर को ब्लॉक कर दिया तो मैसेज भेजने वाले ने पीड़िता के दोस्त के साथ एक व्हाट्सएप ग्रुप बना और उसी तरह के अश्लील मैसेज आने लगे। इसके बाद परिवार ने पुलिस से शिकायत की।
जांच के दौरान पुलिस पाया कि ये संदेश पीड़िता की सहपाठी भेज रही थी। पुलिस के मुताबिक आरोपी अपने दोस्त के साथ कानूनी परिणामों से अनभिज्ञ होकर अपने दोस्त के साथ मजाक कर रही थी। इसके बाद आरोपी ने एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
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