श्रीगंगानगर , अक्टूबर 04 -- राजस्थान में बीकानेर जिले के कालू कस्बे में शनिवार को डूढाणी आदर्श विद्या मंदिर सभागार में नानूराम संस्कर्ता की स्मृति में आयोजित राजस्थानी साहित्य सम्मान समारोह में मातृभाषा की समृद्धि पर जोर दिया गया।

मुख्य अतिथि प्रख्यात कवि-आलोचक डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि नानूराम संस्कर्ता ने ज्ञान की परंपरा को गंभीरता से समझा और उसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वह एक संत-साहित्यकार थे, जिन्होंने सांस्कृतिक मूल्यों की जड़ों को मजबूत किया। डॉ. चारण ने नई पीढ़ी से आग्रह किया कि वे राजस्थानी के सुदीर्घ साहित्यिक इतिहास को गहराई से पढ़ें और मनन करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य 'आशावादी' ने संस्कर्ता के साहित्य को अपने समय और समाज का जीवंत दस्तावेज बताया, जो लोक-जीवन और ग्रामीण संस्कृति को शब्दों में जीवंत करता है। समारोह में मुंबई से आए कवि-गद्यकार डॉ. ओम नागर को नानूराम संस्कर्ता राजस्थानी साहित्य सम्मान से नवाजा गया, जबकि प्रसिद्ध कवि-पत्रकार डॉ. हरिमोहन सारस्वत 'रूंख' को राजस्थानी भाषा की सेवा और मान्यता के संघर्ष के लिए राजस्थानी सेवा सम्मान प्रदान किया गया। देवीलाल महिया ने सम्मानित साहित्यकारों और पुस्तकों का परिचय दिया, जबकि शिवराज संस्कर्ता ने लोक साहित्य प्रतिष्ठा की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

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