अमरावती , नवंबर 28 -- 'मिर्ज़ा एक्सप्रेस' के नाम से मशहूर महाराष्ट्र के लोकप्रिय कवि डॉ. मिर्ज़ा रफ़ी अहमद बेग का शुक्रवार को 68 साल की उम्र में निधन हो गया। डॉ. मिर्ज़ा कुछ समय से किडनी से जुड़ी समस्या से जूझ रहे थे। उन्होंने सुबह 6:30 बजे आखिरी सांस ली।

यवतमाल जिले के नेर तालुका में मानिकवाड़ा के रहने वाले डॉ. मिर्ज़ा अमरावती के वलगांव रोड पर नवसारी में मौजूद अपने घर पर रहते थे। विदर्भ साहित्य सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष डॉ मिर्ज़ा को उनके मजाकिया और आकर्षक मंच प्रदर्शन के लिए पहचाना जाता था। 20 कविता संग्रह प्रकाशित करने और 6,000 से ज्यादा मंच प्रस्तुतियों के बाद वह मराठी साहित्यिक जगत में एक प्रमुख शख्सियत बन गए थे।

डॉ. मिर्ज़ा ने 11 साल की उम्र में कविता लिखनी शुरू कर दी थी और मंच पर अपनी पहली प्रस्तुति उन्होंने 1970 में दी थी। वह देखते ही देखते विदर्भ और मराठवाड़ा में काव्य सम्मेलनों की रौनक बनते गये। उन्होंने अपनी कलम से 'मिर्ज़ाजी कहिन' नाम का एक लोकप्रिय समाचार-पत्र स्तंभ भी लिखा।

मज़ाकिया लेकिन अपने तीखे अंदाज के लिए मशहूर डॉ. मिर्ज़ा ने खेती और किसानों से लेकर ग्रामीण जीवन की चुनौतियों, सामाजिक मुद्दों और राजनीतिक विडंबनाओं तक कई विषयों पर लिखना जारी रखा। मराठी और वर्हाडी बोली में लिखी गयी उनकी कविताओं को लोगों ने खूब पसंद किया। मोथा माणूस, सातवा महीना, उठ अता गणपत और झांगड़बुत्ता जैसी कविताओं को बड़े पैमाने पर लोकप्रियता हासिल हुई।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित