नयी दिल्ली , नवंबर 27 -- कांग्रेस ने कहा है कि श्रम सुधारों के नाम पर सरकार हाल में जो नयी श्रम संहिताएं लेकर आयी हैं वे श्रमिकों के खिलाफ हैं और इन्हें तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

असंगठित श्रमिक एवं कर्मचारी कांग्रेस के अध्यक्ष डा उदित राज ने गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए नयी श्रमिक संहिताओं का कांग्रेस विरोध करती है और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन संहिताओं को वापस नहीं लिया जाता है तो उनका संगठन पूरे देश में इनके खिलाफ आंदोलन करेगा।

उन्होंने कहा कि असंगठित श्रमिक एवं कर्मचारी कांग्रेस ने 22 नवंबर को यहां श्रम शक्ति भवन पर प्रदर्शन कर इसका विरोध करते हुए सरकार से मांग की थी कि इन सभी श्रमिक संहिताओं को तत्काल वापस लिया जाए। उनका कहना था कि ये सभी श्रमिक संहिताएं मजदूर विरोधी हैं और इन चारों लेबर कोड्स-औद्योगिक संबंध संहिता- 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य संहिता- 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता- 2020 तथा वेतन संहिता, 2019 कारपोरेट की हितैषी और मजदूर विरोधी हैँ। श्रमिकों के लिए घातक ये संहिताएं उनके अधिकारों को छीनती हैं, नौकरी की सुरक्षा खत्म करती हैं और उद्योगपतियों का हित साधती हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में पहले व्यावसायिक और स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर सख्त कानून थे, लेकिन अब निरीक्षण सिस्टम को ध्वस्त कर एक बेहद ढीला ढांचा तैयार किया गया है। नयी श्रमिक संहिताओं में निरीक्षण सिस्टम को कमजोर करने से मजदूरों के शोषण की संभावनाएं बढ़ गईं और मालिकों को बहुत सारी कानूनी पाबंदियों से छूट मिल जाएगीउन्होंने कहा किे इन नयी संहिताओं में अस्थायी कर्मचारियों की अनदेखी हुई है और उनको केवल पंजीकरण तक सीमित कर दिया गया है। इसमें उनके लिए ईएसआईसी तथा ईपीएफओ का प्रावधान नहीं हैं। 'हायर एंड फायर' नीति को ताकत दी गई है, जिससे असंगठित मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और उनकी नौकरी की सुरक्षा खत्म होगी। उनका यह भी कहना था कि इन चारों लेबर कोड में श्रमिकों के अधिकार ख़त्म कर दिए गए हैं। शोषण के खिलाफ मजदूर हड़ताल नहीं कर सकते और इन संहिताओं से 'बंधुआ मजदूर' की कुरीति को बल मिलेगा।

कांग्रेस नेता कहा कि इन संहिताओं में श्रमिकों के हितों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है और श्रमिकों के सारे अधिकार छीन लिये गये हैं इसलिए सरकार को इन सभी संहिताओं को तत्काल वापस लेना चाहिए।

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