रांची , अक्टूबर 07 -- झारखंड में नक्सलियों द्वारा घोषित प्रतिरोध सप्ताह और आगामी बंदी को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गई हैं।

सूत्रों के अनुसार नक्सली संगठन 8 से 14 अक्टूबर तक 'प्रतिरोध सप्ताह' मनाने जा रहा है और इसके बाद 15 अक्टूबर को झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में बंदी का आह्वान किया है।

झारखंड पुलिस मुख्यालय ने इस नक्सली गतिविधि को गंभीरता से लेते हुए सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है। खासकर पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) क्षेत्र को संवेदनशील मानते हुए वहां निगरानी व्यवस्था और सर्च ऑपरेशन को और तेज कर दिया गया है। इस इलाके में पिछले कुछ महीनों में नक्सली मूवमेंट के संकेत मिले हैं, जिसके चलते जंगलों और सीमावर्ती इलाकों में पुलिस-बल का गश्त बढ़ा दिया गया है।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक झारखंड में मुठभेड़ों के दौरान 32 नक्सलियों को मार गिराया गया है। इसमें कई कुख्यात नक्सली कमांडर भी शामिल हैं। सुरक्षा बलों का कहना है कि यह संख्या राज्य में नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक बड़ी सफलता है। साथ ही, गिरफ्तारियों और हथियार बरामदगी की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है।

पुलिस मुख्यालय ने आम जनता को आश्वस्त करते हुए कहा है कि नक्सलियों की बंदी से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल मिलकर हर परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि यदि किसी भी संदिग्ध गतिविधि या व्यक्ति की सूचना हो तो तुरंत पुलिस को जानकारी दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।

झारखंड के सीमावर्ती छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में भी सुरक्षा तैयारियां बढ़ा दी गई हैं, क्योंकि इन इलाकों में नक्सली नेटवर्क अक्सर एक-दूसरे से जुड़कर सक्रिय रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र और राज्य के संयुक्त प्रयास से नक्सली आंदोलन के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा चुका है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में अब भी चुनौतियां बरकरार हैं।

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