कोल्हापुर , दिसंबर 24 -- सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य और डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष एवं रक्षा सचिव (अनुसंधान एवं विकास) डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने बुधवार को आंतरिक एवं बाह्य खतरों से उत्पन्न होने वाली किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए देश को मजबूत बनाने की दिशा में सभी से समन्वित प्रयास करने का आह्वान किया।
डॉ रेड्कोडी ने आज यहां शिवाजी विश्वविद्यालय के विद्या नगरी परिसर में आयोजित 62वें दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हम अपने राष्ट्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में हमारे राष्ट्र को आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार के खतरों से सुरक्षित एवं संरक्षित रखने की आवश्यकता है। इस परिस्थिति में हम सभी को अपने देश को मजबूत बनाने और किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति से निपटने के लिए एकजुट प्रयास करने की आवश्यकता है। एक 'विकासशील देश' से 'विकसित देश' बनने की दिशा में अग्रसर होते हुए, हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट बनें। आइए, हम अपने देश के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें।"उन्होंने आगे कहा, "शिक्षा, रोजगार, उद्यमिता एवं उत्कृष्टता 21वीं सदी में सफलता के मुख्य कारक हैं। इस विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थानों में दी गई शिक्षा आपके कौशल और शैक्षणिक योग्यता के अनुरूप आपको रोजगार दिलाएगी। हालांकि, उद्यमिता एक व्यक्तिपरक गुण है, जो पूर्ण रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि कोई व्यक्ति अपने जुनून को पूरा करने एवं चुने हुए क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए कितना केंद्रित और दृढ़ निश्चयी है।"डॉ. रेड्डी ने कहा कि नौकरी चाहने वाले के बदले नौकरी प्रदाता बनने का जुनून, चुनौतियों का समाधान प्रदान करने का जुनून, यही सब कुछ बदल देता है। उन्होंने कहा कि महान विचारकों ने कहा है कि 'उत्कृष्टता एक यात्रा नहीं, बल्कि एक आदत है'। उन्होंने आगे कहा, "कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उद्योग 5.0 प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तीव्र प्रगति कर रहे हैं। इन सकारात्मक पहलुओं का उपयोग करके अपने जीवन को बेहतर बनाना हम सभी का मुख्य लक्ष्य है।" उन्होंने इस अवसर पर सभी छात्रों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर अक्षय अरुण नलवाडे को राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक और सुश्री आर्या संजय देसाई को कुलाधिपति का स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। कुल 49,902 विद्यार्थियों ने अपनी डिग्री प्राप्त की, जिनमें 33,743 छात्राएं थीं।
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