नयी दिल्ली , नवंबर 26 -- उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन ने कहा है कि देश आज भले ही तेजी से विकास कर रहा है और जल्द ही हम दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे लेकिन बदलते वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में चुनावी, न्यायिक, वित्तीय आदि क्षेत्रों में और सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने की जरूरत है।

श्री राधाकृष्णन ने 'संविधान दिवस' पर यहां संसद भवन परिसर में संविधान सदन के केंद्रीय कक्ष में आयोजित मुख्य समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश विभिन्न क्षेत्रों में तरक्की करते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और जल्द ही तीसरा स्थान हासिल कर लेगा। समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे तथा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मौजूद थे। राष्ट्रपति ने इस दौरान डिजिटल माध्यम में संविधान को नौ भाषाओं मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगू, उड़िया और असमिया में जारी कर संविधान से कला और कैलीग्राफी बुकलेट का अनावरण भी किया।

उपराष्ट्रपति ने संविधान दिवस को पावन दिवस बताते हुए कहा कि इसी दिन 1949 में, स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने हमारे पवित्र संविधान को अंगीकृत किया था और 2015 से देश 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मना रहा है। यह दिन अब नागरिकों के लिए उत्सव बन चुका है। बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, एन. गोपालस्वामी अय्यंगार, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, श्रीमती दुर्गाबाई देशमुख जैसे कई महान नेताओं ने हमारे संविधान का निर्माण किया, उसके एक-एक पृष्ठ में राष्ट्र की आत्मा झलकती है। इसमें लाखों-करोड़ों देशवासियों के स्वाधीनता संग्राम के बलिदान, उनकी आकांक्षाओं और सपनों का सामूहिक प्रज्ञा समाहित है।

श्री राधाकृष्णन ने कहा कि संविधान की प्रारूप समिति के महान विद्वानों तथा संविधान सभा के सदस्यों ने गहन चिंतन कर करोड़ाें भारतीयों की आशाओं-अपेक्षाओं को साकार करने का कार्य किया। हमारा संविधान बुद्धि, अनुभव, त्याग, आशा और आकांक्षा से जन्मा है और इसकी आत्मा ने सिद्ध कर दिया है कि भारत एक था, एक है और सदा एक रहेगा। देश की आर्थिक उन्नति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले जहाँ हम विश्व अर्थव्यवस्था में कहीं पीछे थे, वहीं आज चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और बहुत जल्द तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं। यही कारण है कि पूरी दुनिया भारत की ओर आशा और विश्वास से देख रही है। पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने का कार्य हुआ है। डिजिटल तकनीक के सहारे सौ करोड़ से अधिक लोगों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़कर असंभव को संभव बना दिया है।

उपराष्ट्रपति ने देश की आजादी में आदिवासियों के योगदान को याद करते हुए कहा "इस वर्ष हमने सरदार वल्लभभाई पटेल, भगवान बिरसा मुंडा तथा हमारे राष्ट्रीय गान 'वंदे मातरम' की 150वीं जयंती धूमधाम से मनाई। स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान की स्मृति हमें और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। इससे युवा मन में देशभक्ति, गर्व और निष्ठा का भाव जागृत होता है। झारखंड, महाराष्ट्र और तेलंगाना का राज्यपाल रहते मुझे आदिवासी समुदायों से निकटता से मिलने-जुलने का सुअवसर मिला। स्वतंत्रता संग्राम में और संविधान निर्माण में आदिवासी समुदायों और उनके नेताओं के त्याग को कोई भुला नहीं सकता। उन्होंने कहा कि 2021 से देश जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है और यह हमारे आदिवासी भाई-बहनों के बलिदान और संघर्ष को याद करने तथा सम्मान देने का अवसर है। हमारा संविधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों और समाज के सभी कमजोर वर्गों के प्रति सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तीकरण की मजबूत प्रतिबद्धता दर्शाता है।

श्री राधाकृष्णन ने कहा "लोकतंत्र भारत के लिए नया नहीं है। इतिहास साक्षी है कि उत्तर में वैशाली गणराज्य से लेकर दक्षिण में चोल शासकों की 'कुडावोलै' प्रणाली तक लोकतंत्र की जड़ें गहरी रही हैं इसलिए हम भारत को लोकतंत्र की जननी कहते हैं। कोई भी लोकतंत्र बिना नागरिकों के जागरूक योगदान के जीवित नहीं रह सकता। माँ भारती में अमीर-गरीब हर नागरिक लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना योगदान देता रहा है।अनुच्छेद 370 हटने के बाद 2024 में जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों में भारी मतदान इसका जीता-जागता प्रमाण है कि वहाँ के लोगों का लोकतंत्र में पूरा विश्वास है। हाल ही में बिहार में हुए चुनावों में विशेष रूप से महिलाओं का भारी संख्या में मतदान बहुत ही स्वस्थ संकेत है।"उन्होंने संविधान सभा की महिला सदस्यों के योगदान को याद कर सभा की सदस्य हंसा मेहता जी के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा 'हमने जो माँगा है वह सामाजिक न्याय, आर्थिक न्याय और राजनीतिक न्याय है।' उनका कहना थ कि कि 2023 में पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम संविधान सभा की महिला सदस्यों और माँ भारती की सभी महिलाओं को सच्ची श्रद्धांजलि है। यह अधिनियम हमारी माताओं-बहनों को आगे आने और राष्ट्र-निर्माण में भागीदार बनने का समान अवसर देगा ताकि भारत विश्व की सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बने।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब बदलते वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य में हमें अनेक क्षेत्रों में सुधार करने हैं। चुनाव सुधार, न्यायिक सुधार, वित्तीय सुधार-ये सभी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। एक देश-एक कर -जीएसटी ने जनता की समृद्धि बढ़ाई और कारोबार में सुगमता लाया। रातोंरात जटिल कर प्रणाली और पूरे देश के चेक-पोस्ट समाप्त हो गए जिससे सिद्ध हुआ कि सरकार को आम जन पर पूरा भरोसा है। इसी तरह जन-धन, आधार और मोबाइल (जैम त्रयी) ने करोड़ों नागरिकों के जीवन को सरल बनाया है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) ने यह सुनिश्चित किया है कि दूर-सुदूर गाँव में रहने वाले अंतिम व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी बिचौलिए के सीधे पहुँचे। हमें आधुनिक आईटी तकनीकों का रचनात्मक उपयोग करते हुए विकसित भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करना है।

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