उदयपुर , दिसम्बर 21 -- राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा है कि दीक्षांत शिक्षा की समाप्ति नहीं, बल्कि जीवन की नई शुरुआत है, जहाँ से विद्यार्थी अपने अर्जित ज्ञान को समाज और देश के हित में इस्तेमाल करने की दिशा में आगे बढ़ते हैं।
श्री बागड़ रविवार को यहां मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 33वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में शैक्षणिक सत्र 2024 के तहत विभिन्न संकायों के 91 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं प्रायोजित स्मृति पुरस्कार एवं 255 शोधार्थियों को पीएच.डी. प्रदान की गयी।
उन्होंने उपनिषद् का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें आचार्य द्वारा दी जाने वाली अंतिम शिक्षा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है। उपनिषद् के अनुसार विद्यार्थी को सदा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए और धर्म का आचरण करना चाहिए। यहाँ धर्म का अर्थ कर्तव्य का पालन है। आजीवन कुछ नया सीखते रहना और मानवता के कल्याण के लिए कार्य करना ही विद्यार्थी का सच्चा कर्तव्य है।
श्री बागड़े ने प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा का स्मरण करते हुए कहा कि पहले शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं थी, बल्कि गुरु शिष्य के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देते थे। उन्होंने कहा कि आज का दीक्षांत समारोह उसी परंपरा का आधुनिक स्वरूप है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों का अपनी डिग्री और ज्ञान का उपयोग केवल व्यक्तिगत उन्नति के लिए नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के निर्माण में करने का आह्वान किया। मेवाड़ की ऐतिहासिकता के साथ महाराणा सांगा और मीरा का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा हमारा अपना समृद्ध इतिहास है फिर भी हम बरसों तक मुगलों का इतिहास पढ़ाते रहे, यह परिपाटी बदलनी चाहिए।
श्री बागड़े ने कहा कि उच्च शिक्षा का उद्देश्य केवल अच्छी नौकरी पाना नहीं है, बल्कि नैतिकता, चरित्र, अनुशासन और सामाजिक उत्तरदायित्व का विकास भी है। उन्होंने विद्यार्थियों से संवेदनशील, जागरूक और विचारशील नागरिक बनने का आह्वान करते हुए युवाओं को स्टार्टअप, नवाचार और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के ढेरों पद ख़ाली पड़े हैं, उन पर नियुक्ति के प्रयास भी किए जाने चाहिए। क्योंकि गेस्ट फ़ैकल्टी के ज़रिए विश्वविद्यालय नहीं चलते और ख़ाली पदों से न विश्वविद्यालयों का भला होता है न ही बच्चों का भला होता है ।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री डा प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा के विस्तार और गुणवत्ता सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य में नए महाविद्यालयों की स्थापना, संरचनागत विकास और शिक्षकों की नियुक्ति की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है, जिससे उच्च शिक्षा में सकल नामांकन बढ़ा है, विशेषकर बालिकाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही है।
डा बैरवा ने सूचना प्रौद्योगिकी और ई-लर्निंग को उच्च शिक्षा के लिए क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि इसके माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यार्थी भी विशेषज्ञों के ज्ञान से लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने मूल्यपरक शिक्षा, चरित्र निर्माण और सामाजिक समरसता पर बल देते हुए विद्यार्थियों से अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए करने का आह्वान किया।
समारोह में विशिष्ट अतिथि राज्य मंत्री प्रो. मंजू बाघमार ने कहा कि दीक्षांत सीखने की प्रक्रिया का अंत नहीं, बल्कि जीवन के नए चरण की शुरुआत है। उन्होंने विद्यार्थियों से निरंतर सीखते रहने, अनुशासन और परिश्रम को जीवन का आधार बनाने का आह्वान किया।
समारोह में इस वर्ष कुल 255 शोधार्थियों को विद्या-वाचस्पति (पीएच.डी.) की उपाधि प्रदान की गई । पीएच.डी. उपाधि प्राप्त करने वालों में 111 छात्र एवं 144 छात्राएं शामिल हैं। विज्ञान संकाय से कुल 50 शोधार्थियों को पीएच.डी. उपाधि प्रदान की गई, जिनमें 23 छात्र एवं 27 छात्राएं शामिल हैं।
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