नयी दिल्ली , अक्टूबर 03 -- वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण यानी थियेटर कमानों के गठन को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी बताते हुए कहा है कि यह दुनिया में चल रहे मॉडलों के आधार पर नहीं बल्कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों के अनुभव तथा सबके के आधार पर किया जाना चाहिए। एयर चीफ मार्शल सिंह ने वायु सेना दिवस से पहले शुक्रवार को यहां वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में तीनों सेनाओं ने शुरू से ही योजना के स्तर से लेकर उन पर अमल करने तक मिलकर अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उन्होंने का कि यह पहला मौका है जब तीनों सेनाओं ने बेहतर तालमेल के साथ दुश्मन को धूल चटाई।
सशस्त्र बलों में थियेटराइजेशन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम चल रहा है और गहन विचार विमर्श किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इनका गठन दुनिया के मॉडलों की देखा-देखी नहीं किया जाना चाहिए। भारत को अपनी जरूरतों तथा अनुभवों विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के अनुभव के आधार पर इनका गठन करना चाहिए। वायु सेना प्रमुख ने कहा कि इस बारे में जितनी व्यापक बातचीत होगी इसका परिणाम उतना ही अच्छा होगा।
इसी मौके पर उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में वायु सेना ने अपनी मारक क्षमता को साबित किया और इस ऑपरेशन ने वायु सेना की प्रासंगिकता को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि वायु सेना ने जितनी सटीकता और तेजी से उद्देश्य और लक्ष्यों को हासिल किया वह इतिहास में दर्ज किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान में वायु सेना ने अपने ध्येय वाक्य, 'अचूक, अभेद्य और सटीक' को पूरी तरह चरितार्थ किया।
उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले पर भारत की जवाबी कार्रवाई एक स्पष्ट राष्ट्रीय निर्देश से प्रेरित थी कि निर्दोष लोगों की हत्या के लिए ज़िम्मेदार लोगों को 'कीमत चुकानी' होगी और इसके लिए चलाये गये ऑपरेशन ने अपने उद्देश्यों को तेज़ी से हासिल किया।
उन्होंने कहा, 'सशस्त्र बलों को एक स्पष्ट निर्देश, एक स्पष्ट अधिदेश दिया गया था, और भारतीय वायु सेना इसमें प्रमुख हितधारक की भूमिका में थी।
पाकिस्तान के साथ तीन-चार दिनों तक चले संघर्ष का वर्णन करते हुए एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि यह ऑपरेशन इतिहास में एक ऐसे ऑपरेशन के रूप में दर्ज किया जाएगा जो एक केंद्रित उद्देश्य के साथ शुरू हुआ और जल्दी समाप्त हो गया। उन्होंने कहा, 'यह एक ऐसा युद्ध था जो एक बहुत ही स्पष्ट उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था, और इसे बिना ज़्यादा समय दिए शीघ्रता से समाप्त कर दिया गया।'वायु सेना प्रमुख ने कहा कि जहां तक आक्रामक कार्रवाई का सवाल है स्वदेशी रूप से विकसित हथियारों का इस्तेमाल किया गया। लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल अच्छी सटीकता के साथ किया गया और 300 किलोमीटर से भी ज़्यादा अंदर तक वार किया गया।
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