अगरतला , नवंबर 28 -- त्रिपुरा में सामाजिक-राजनीतिक संगठन 'अमरा बंगाली' ने संविधान की 7वीं अनुसूची के तहत एक स्वायत्त सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र के गठन की मांग की है, जिसका मकसद गैर-आदिवासी निवासियों के हितों की रक्षा करना है।

टिपराहा स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (टीआईपीआरए मोथा) के संस्थापक श्री प्रद्योत देबबर्मन ने गुरुवार को क्षेत्रीय एकजुटता के लिए राज्य की आदिवासी आबादी के साथ एक बड़ी रैली की। यह रैली पूर्वोत्तर के मूल समुदायों के लिए जमीन के अधिकार, सांस्कृतिक पहचान और लंबे समय तक चलने वाले राजनीतिक सुरक्षा उपायों की मांगों पर केंद्रित था।

श्री प्रद्योत की मांग को देखते हुए 'अमरा बंगाली' ने संविधान के 7वीं अनुसूची के तहत बंगाली आबादी वाले इलाकों के लिए खास तौर पर स्वायत्त सामाजिक-आर्थिक जोन की अपनी पुरानी मांग पर जोर दिया। पार्टी प्रमुख गौरांग रुद्रपाल ने अपनी हाल की कोशिशों पर रोशनी डाली, जिसमें तीन दिन पहले नॉर्थ त्रिपुरा के धर्मनगर में हुआ चार घंटे का सामूहिक धरना भी शामिल है। उनकी मुख्य मांग त्रिपुरा में बंगाली समुदायों की भाषा, संस्कृति, विरासत और संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा पर केंद्रित है। उन्होंने संगठन की इस चिंता को भी जाहिर किया कि प्रशासनिक नीतियों में बदलाव और सामाजिक दबाव की वजह से बंगाली समुदायों को अलग-थलग किया जा रहा है।

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