जालंधर/अमृतसर, सितंबर 29 -- पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने सोमवार को जालंधर में इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के पहले चरण का उद्घाटन किया, जो शहर के यातायात नियमन और निगरानी ढांचे में एक महत्वपूर्ण छलांग है।

पुलिस आयुक्त धनप्रीत कौर, उपायुक्त डॉ. हिमांशु अग्रवाल और नगर आयुक्त संदीप ऋषि के साथ, डीजीपी ने कहा कि एसएएस नगर के बाद, जालंधर इस अत्याधुनिक प्रणाली को लागू करने वाला पंजाब का दूसरा शहर बन गया है। 42 करोड़ रुपये की लागत से विकसित, सिटी सर्विलांस एंड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का पहला चरण जालंधर के पुलिस लाइंस स्थित इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) में संचालित है। इसमें 13 महत्वपूर्ण चौराहों पर स्थापित 142 उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे शामिल हैं। इस प्रणाली में 102 स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) कैमरे, 40 रेड लाइट उल्लंघन पहचान (आरएलवीडी) कैमरे, 83 बुलेट कैमरे, चार पीटीजैड कैमरे, 30 विज़ुअल मैसेज डिस्प्ले स्क्रीन और दो गति उल्लंघन पहचान स्थलों पर 16 कैमरे शामिल हैं। शहरव्यापी निगरानी योजना में जन संबोधन और आपातकालीन कॉल बॉक्स प्रणालियों के साथ कुल 1,003 कैमरे लगाने की परिकल्पना की गई है। इसकी एक प्रमुख विशेषता स्वचालित ई-चालान प्रणाली है, जो एनआईसी के वाहन और सारथी डेटाबेस के साथ एकीकृत है, जिससे लाल बत्ती तोड़ने, तेज़ गति से गाड़ी चलाने और गलत दिशा में गाड़ी चलाने पर स्वचालित चालान हो जाते हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पंजाब सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, डीजीपी ने कहा कि सितंबर 2024 से, पंजाब पुलिस ने राज्य में शांति भंग करने के पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के 26 से ज़्यादा प्रयासों को विफल किया है। उन्होंने आगे कहा कि आगामी त्यौहारी सीज़न के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पंजाब के लिए केंद्रीय बलों की 57 अतिरिक्त कंपनियाँ स्वीकृत की गई हैं।

युद्ध नशिया विरुद्ध पहल के परिणामों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने बताया कि पंजाब पुलिस ने लगभग 20,000 प्राथमिकी दर्ज की हैं, 31,000 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया है और रिकॉर्ड 87 प्रतिशत दोषसिद्धि दर हासिल की है , जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने नशीली दवाओं के दुरुपयोग को खत्म करने और शांति एवं सद्भाव बनाए रखने के लिए पंजाब पुलिस के दृढ़ संकल्प पर ज़ोर दिया।

संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई को और मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पंजाब पुलिस ने नागरिकों के लिए एक समर्पित टोल-फ्री हेल्पलाइन 1800-330-1100 शुरू की है ताकि वे धमकी, जबरन वसूली और गैंगस्टर से संबंधित गतिविधियों सहित संगठित अपराधों की गोपनीय रूप से सूचना दे सकें।

अमृतसर में एक प्रेस वार्ता के दौरान पुलिस महानिदेशक गौरव यादव ने बताया कि यह हेल्पलाइन पंजाब पुलिस की एंटी-गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) द्वारा नागरिकों को अपराधों की सूचना देने के लिए एक सीधा और गोपनीय माध्यम प्रदान करती है।

डीजीपी यादव ने नागरिकों को यह भी आश्वासन दिया कि इस हेल्पलाइन पर कॉल करने वालों की पहचान सुरक्षित रखी जाएगी और प्राप्त सूचनाओं पर त्वरित और समन्वित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस हेल्पलाइन की निगरानी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एजीटीएफ प्रमोद बान द्वारा की जाएगी, ताकि हर सूचना पर प्रभावी और त्वरित कार्रवाई की जा सके। आज अमृतसर में डीआईजी बॉर्डर रेंज एस. नानक सिंह, अमृतसर, बटाला, तरनतारन, गुरदासपुर और पठानकोट जिलों के पुलिस प्रमुखों और एआईजी एसएसओसी सहित सीमावर्ती जिलों के पुलिस प्रमुखों के साथ बैठक करने के बाद, उन्होंने कहा कि ऑपरेशन संदूर के बाद से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी लगातार राज्य में सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है, लेकिन पंजाब पुलिस ने बीएसएफ के साथ मिल कर हर कोशिश को नाकाम किया है।

उन्होंने कहा कि इसी तरह बाढ़ का फायदा उठाकर बड़े पैमाने पर पाकिस्तान से ड्रग्स और छोटे हथियारों की तस्करी की कोशिश की गई, जिन्हें पंजाब पुलिस ने अलग-अलग जगहों से बरामदकिया। उन्होंने कहा कि अब तक एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स के सहयोग से 2347 गैंगस्टरों को गिरफ्तार किया गया है और 886 आपराधिक मॉड्यूल को नाकाम किया गया है। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान पंजाब पुलिस द्वारा विभिन्न स्थानों से 1968 हथियार बरामद किए गए हैं।

पंजाब सरकार द्वारा नशे के खिलाफ छेड़ी गई जंग की जानकारी देते हुए श्री यादव ने कहा कि इस अभियान के दौरान पंजाब पुलिस ने 1350 किलोग्राम हेरोइन, 433 किलोग्राम अफीम, 24855 किलोग्राम चूरा पोस्त, 498 किलोग्राम गांजा, 36 लाख से ज़्यादा नशीली गोलियाँ और 12.72 करोड़ रुपये की ड्रग मनी भी बरामद की गई। फिरौती के कॉल के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने पंजाब के लोगों से ऐसे अपराधियों के खिलाफ खुलकर आगे आने का आह्वान किया ताकि इन अपराधियों का सफाया किया जा सके।

उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत मामलों में ये फिरौती के कॉल स्थानीय अपराधियों द्वारा किए जातेहैं। उन्होंने कहा कि हम साइबर टीमों की मदद से हर मामले की जाँच करते हैं और दुनिया के किसी भी कोने में शामिल किसी भी व्यक्ति पर कानूनी कार्रवाई की जाती है।

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