हैदराबाद , दिसंबर 19 -- प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(माओवादी) संगठन के 41 भूमिगत कैडरों ने शुक्रवार को यहां तेलंगाना पुलिस के सामने सामूहिक रूप से आत्मसमर्पण कर दिया।
माओवादियों ने पुलिस महानिदेशक बी. शिवधर रेड्डी की उपस्थिति में 24 आग्नेयास्त्र, विभिन्न कैलिबर की 733 गोलियां और आठ बीजीएल शेल्स के साथ आत्मसमर्पण किया।
श्री रेड्डी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि इन कैडरों पर लगभग 1.46 करोड़ रुपये का इनाम था। इनमें प्लाटून और डिविजनल कमेटियों के छह वरिष्ठ पदाधिकारी के साथ ही 22 महिला ऑपरेटिव भी शामिल हैं । उन्होंने कहा कि इन माओवादियों ने औपचारिक रूप से हिंसा त्याग दी और समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए।
उन्होंने कहा कि इसी वर्ष कुल 509 भूमिगत भाकपा (माओवादी) कैडरों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें दो केंद्रीय समिति सदस्य (सीसीएम), 11 राज्य समिति सदस्य (एससीएम) और तीन डिविजनल कमेटी सचिव (डीवीसीएस) शामिल हैं, जो संगठन के लगातार ह्रास को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि भाकपा (माओवादी) की विभिन्न इकाइयों में आंतरिक मतभेद, गुटबाजी और नेतृत्व विवादों के अलावा, यह आत्मसमर्पण मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी द्वारा 21 अक्टूबर 2025 को की गई अपील के बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने भाकपा (माओवादी) कैडरों से हिंसा त्यागने, मुख्यधारा में लौटने और राज्य तथा उसके लोगों के विकास एवं कल्याण में भाग लेने का आग्रह किया था। तेलंगाना सरकार की पुनर्वास नीति के अनुसार, डीवीसीएम/सीवाईपीसीएम को 5 लाख रुपये प्रत्येक, एसीएम/पीपीसीएम कैडरों को 4 लाख रुपये प्रत्येक और पार्टी सदस्य (पीएम) को एक लाख रुपये प्रत्येक मिलेंगे।
डीजीपी ने कहा कि सभी 41 आत्मसमर्पित कैडरों को अब 25,000 रुपये प्रत्येक की अंतरिम राहत दी गई है, और अतिरिक्त लाभ राज्य की पुनर्वास एवं पुनर्समायोजन नीति के अनुसार प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी भूमिगत भाकपा (माओवादी) कैडरों को तेलंगाना सरकार के व्यापक पुनर्वास एवं पुनर्समायोजन कार्यक्रम के तहत पूर्ण समर्थन, सुरक्षा और सहायता प्राप्त होगी, जिससे वे शांतिपूर्ण, सम्मानजनक और सार्थक तरीके से अपना जीवन दोबारा व्यतीत कर सकें।
श्री रेड्डी ने आगे कहा कि राज्य के 54 माओवादी अभी भी भूमिगत हैं, जिनमें दो राज्य समिति सदस्य और चार क्षेत्र समिति सदस्य शामिल हैं। इसके अलावा कई प्रमुख माओवादी अन्य राज्यों में सक्रिय हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल है। भाकपा (माओवादी) के सात केंद्रीय समिति सदस्यों में से पांच तेलंगाना के मूल निवासी हैं, जो संगठन की नेतृत्व संरचना में राज्य के दबदबे को रेखांकित करता है।
उन्होंने कहा कि भाकपा (माओवादी) नेतृत्व ने अपने भूमिगत कैडरों को छत्तीसगढ़ से बाहर निकलकर अन्य क्षेत्रों में फैल जाने का निर्देश दिया है, जिसकी समय सीमा 31 मार्च 2026 है और ये वो तारीख है जिसे सरकार ने वामपंथी उग्रवाद को समाप्त करने के लिए निर्धारित की है। माओवादी नेतृत्व ने अपने कैडरों को यह संदेश भी दिया है कि 31 मार्च के बाद सुरक्षा अभियान कम कर दिए जाएंगे और उसके बाद वे अपनी भूमिगत गतिविधियां फिर से शुरू कर सकेंगे , हालांकि यह आश्वासन भ्रामक है और एक झूठा वादा है। इस रणनीति के तहत भाकपा (माओवादी) नेतृत्व कैडरों को मनमाने ढंग से अपरिचित और दूरस्थ क्षेत्रों में तैनात कर रहा है, अक्सर ऐसे क्षेत्रों में जहां उन्हें स्थानीय भूगोल की बुनियादी जानकारी और स्थानीय स्तर पर समर्थन नहीं मिलता।
डीजीपी ने माओवादियों से अपील की कि वे नेतृत्व के फैसलों को अस्वीकार करें, अपने हथियार सौंप दें और तेलंगाना सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत सरकार के समर्थन से मुख्यधारा में शामिल होकर शांतिपूर्ण और सम्मानजनक जीवन जिएं।उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री की उस अपील को दोहराया जिसमें शेष सभी भूमिगत माओवादियों से हिंसा त्यागने, अपने मूल गांवों में लौटने, परिवारों से फिर से मिलने और राज्य के विकास में रचनात्मक योगदान देने का आग्रह किया गया है।
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