चेन्नई , नवंबर 24 -- वाराणसी में आयोजित काशी तमिल संगमम-4 के हिस्से के रूप में सोमवार को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दृश्य कला संकाय में एक भव्य पोस्टर-निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया गया कि इस प्रतियोगिता में काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत को एक साथ जोड़ने का एक अनूठा प्रयास प्रदर्शित किया गया। 'विविधता में एकता' की थीम पर आधारित इस प्रतियोगिता में 150 से अधिक छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिन्होंने अपने विचारों को चमकीले रंगों और रचनात्मक कल्पनाओं के माध्यम से जीवंत किया।
काशी विद्यापीठ, जीवन दीप पब्लिकेशन्स और बीएचयू के विभिन्न संस्थानों के छात्रों ने प्रतियोगिता में भाग लिया और काशी तथा दक्षिण भारत की विविध परंपराओं, रीति-रिवाजों, वेशभूषा, लोक संस्कृति और जीवन शैली पर आधारित सुंदर चित्र बनाए। छात्रों ने संगीत और गीतों के बीच अपनी कल्पनाओं को कैनवास पर उतारा। आयोजन स्थल कला और संस्कृति के उत्सव में बदल गया जिसमें प्रत्येक पोस्टर ने भारत की विविधता में एकता को चित्रित किया। बच्चों की कलाकृतियों ने काशी की घाट संस्कृति, इसके मंदिरों की भव्यता, दक्षिण भारतीय नृत्य रूपों, लोक कला, वास्तुकला और आध्यात्मिकता को स्पष्ट रूप से दर्शाया।
कुछ बच्चों ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली गंगा आरती का चित्रण किया, जबकि अन्य ने भरतनाट्यम को प्रभावशाली यथार्थवाद के साथ जीवंत कर दिया। कुछ पोस्टरों ने कांचीपुरम की परंपराओं को उजागर किया जबकि अन्य ने काशी की आध्यात्मिकता को दर्शाया। इन चित्रों ने प्रदर्शित किया कि सांस्कृतिक मतभेदों के बावजूद, भारत एकजुट है।
नोडल अधिकारी प्रोफेसर अंचल श्रीवास्तव, समन्वयक प्रोफेसर मनीष अरोड़ा, प्रोफेसर ज्ञानेंद्र कुमार कनौजिया और सहायक प्रोफेसर कृष्ण सिंह ने कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।बीएचयू के दृश्य कला संकाय के 'अप्लाइड आर्ट्स' विभाग के मार्गदर्शन में यह प्रतियोगिता एक सुव्यवस्थित और रचनात्मक रूप आयोजित की गयी।
आयोजकों ने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि कला न केवल अभिव्यक्ति का एक शक्तिशाली साधन है, बल्कि एक पुल भी है जो विविध संस्कृतियों को जोड़ता है।
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