नयी दिल्ली , अक्टूबर 10 -- उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु के करूर भगदड़ की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस भगदड़ में 41 लोगों की जान चली गयी थी और अन्य 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

तमिल अभिनेता विजय की राजनीतिक पार्टी टीवीके ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा पारित उस आदेश की वैधता को चुनौती दी है जिसमें इस घटना की जाँच के लिए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) वरिष्ठ अधिकारी असरा गर्ग की अध्यक्षता में एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्देश दिया गया था।

याचिका में तर्क दिया गया है कि इस मामले में पुलिस जाँच पर सवाल उठाने वाली टिप्पणी के बावजूद उच्च न्यायालय ने केवल तमिलनाडु पुलिस के तीन वरिष्ठ अधिकारियों वाली एक एसआईटी के गठन का निर्देश दिया। इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता-पक्ष और उसके नेता, उस आदेश से पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं जिसमें केवल राज्य पुलिस के अधिकारियों वाली एक एसआईटी नियुक्त की गयी है, जबकि उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु पुलिस की स्वतंत्रता और उसके आचरण पर असंतोष व्यक्त किया था।

याचिका में कहा गया है कि टीवीके के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा की गई कुछ कड़ी टिप्पणियों से राजनीतिक दल और उसके पदाधिकारियों के प्रति गंभीर पूर्वाग्रह पैदा हुआ है।

शीर्ष अदालत ने अभिनेता से नेता बने विजय की करूर रैली के दौरान हुई भगदड़ की केन्द्रीय जांच ब्यूरो जांच का निर्देश देने से मद्रास उच्च न्यायालय के इनकार को चुनौती देने वाली याचिका पर 10 अक्टूबर को सुनवाई करने पर सात अक्टूबर को सहमति व्यक्त की थी।

यह भगदड़ 27 सितंबर को हुई थी। इस घटना में 41 लोग मारे गए थे और अन्य 100 से अधिक घायल हुए थे।

संबंधित घटनाक्रम में अधिवक्ता और तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी नेता जी एस मणि ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर कर उच्च न्यायालय के तीन अक्टूबर के आदेश की आलोचना की, जिसमें मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से इनकार कर दिया गया था।

श्री मणि ने दावा किया कि राज्य के अधिकारी इस मामले में संदिग्ध हैं, क्योंकि उनकी गंभीर चूक के कारण यह त्रासदी हुई।

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