रांची , दिसंबर 19 -- झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर डीआईजी ग्राउंड (रिम्स की जमीन) को अतिक्रमण मुक्त कर अवैध मकानों को तोड़े जाने की कार्रवाई के बीच राज्य की राजनीति गरमा गई है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पूरे मामले में सरकारी तंत्र की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने मांग की है कि डीआईजी ग्राउंड को पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त कराते हुए रिम्स प्रबंधन को कब्जा एवं हस्तगत कराया जाए।

श्री मरांडी ने पत्र में स्पष्ट किया है कि झारखंड हाई कोर्ट, रांची ने हाल ही में आदेश दिया है कि रिम्स की जमीन, जिसे डीआईजी ग्राउंड के नाम से जाना जाता है, को अतिक्रमण मुक्त कर रिम्स प्रबंधन को सौंपा जाए। इस आदेश के आलोक में जिला प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण तोड़े जा रहे हैं, जो न्यायालय के निर्देशों का पालन है। लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर इतने वर्षों तक इस सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कैसे होने दिया गया।

उन्होंने पत्र में कहा कि हालात यहां तक पहुंच गए कि रिम्स की जमीन के एक हिस्से को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बाजार में बेच दिया गया। बिल्डरों ने उस जमीन पर अपार्टमेंट बनाकर आम नागरिकों को फ्लैट बेच दिए। श्री मरांडी ने आशंका जताई कि इस पूरे खेल में छवि रंजन जैसे भ्रष्ट आईएएस अधिकारियों के अलावा और भी कई लोग शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने सरकारी जमीन के फर्जी कागजात तैयार कराकर बिक्री करवाई।

श्री मरांडी ने यह भी कहा कि जब कोई आम नागरिक जमीन या फ्लैट खरीदता है, तो उससे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह जांच करे कि जमीन सरकारी है या निजी। आम लोगों के पास न तो इतनी जानकारी होती है और न ही कानूनी संसाधन। यह जिम्मेदारी पूरी तरह सरकार और उसके सिस्टम की होती है।

अपने पत्र में उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष कई सवाल रखे हैं। उन्होंने पूछा है कि रिम्स की जमीन दूसरे के नाम रजिस्ट्री कैसे कर दी गई, जबकि रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज के दौरान हर स्तर पर जांच होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन रजिस्ट्रार ने रिश्वत लेकर रजिस्ट्री की होगी। इसके बाद अंचलाधिकारी द्वारा दाखिल-खारिज कैसे किया गया, यह भी गंभीर सवाल है। साथ ही रांची नगर निगम द्वारा अपार्टमेंट निर्माण के लिए नक्शा पास किया जाना और रेरा द्वारा प्रोजेक्ट को मंजूरी देना भी पूरे सिस्टम की मिलीभगत को दर्शाता है।

श्री मरांडी ने मांग की है कि इस पूरे मामले में शामिल संबंधित रजिस्ट्रार, अंचल अधिकारी और रांची नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर उन्हें निलंबित किया जाए तथा कठोर कानूनी कार्रवाई हो। इसके साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि जिन निर्दोष लोगों ने इन अवैध अपार्टमेंट में फ्लैट खरीदे हैं, उन्हें सरकार तत्काल वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराए। यदि यह संभव न हो, तो फ्लैट की क्रय राशि सरकार वहन करे, क्योंकि यह नुकसान सरकार के भ्रष्ट सिस्टम की वजह से हुआ है, न कि आम जनता की गलती से।

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