नैनीताल , अक्टूबर 13 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने केन्द्र सरकार के जल जीवन मिशन के अंतर्गत टिहरी जिले के प्रताप नगर तहसील के दो दर्जन गांवों में कथित गड़बड़ियों और गबन के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को गड़बड़ी वाली पेयजल लाइनों के भुगतान रोकने के निर्देश दिये हैं।
प्रतापनगर तहसील के भेलुंटा गांव के पूर्व प्रधान दिनेश चंद्र जोशी की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रतापनगर तहसील में हर घर जल, हर घर नल योजना के तहत गांवों में पेयजल लाइन बिछाने का काम किया गया है। इस योजना के तहत 23 गांवों में गड़बड़ी सामने आयी है। मानकों के अनुसार काम नहीं किया गया है।
कुछ गांवों में पेयजल लाइनें खुले में डाल दी गयी हैं जबकि कुछ गांवों में पाइप लाइनों को मानक के अनुसार गहरा नहीं किया गया है। जांच में गड़बड़ी की बात सामने आयी है। अधिशासी अभियंता ने माना है कि भेलुंटा, देवल, खेतगांव और खोलगढ़ आदि गांवों में पेयजल लाइनों में गड़बड़ी की गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले की शिकायत टिहरी के जिलाधिकारी से भी की गयी है।
दूसरी ओर से सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पेयजल लाइनों में गड़बड़ी की बात सामने आयी है। जिन क्षेत्रों में मानक के अनुरूप काम नहीं पाया गया है वहां का भुगतान रोक दिया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पूरण सिंह रावत के अनुसार अंत में अदालत ने प्रभावित गांवों का की पेयजल लाइनों का भुगतान रोकने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई के लिये एक दिसंबर की तिथि तय कर दी है।
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