रांची , अक्टूबर 15 -- झारखंड हाईकोर्ट में आज राज्य सरकार द्वारा कोर्ट फीस में बढ़ोतरी को चुनौती देते हुए दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई हुई।
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णन ने बताया कि न्यायालयों में मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन राज्य सरकार के कोर्ट फीस से प्राप्त राजस्व में असामान्य गिरावट देखी जा रही है।
राज्य सरकार ने अदालत को काउंटर अफिडेविट में जानकारी दी कि वर्ष 2011-12 में कोर्ट फीस से लगभग 97 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था, जबकि 2020-21 तक यह घटकर मात्र 10 करोड़ रुपये रह गया। इस दौरान न्यायालयों में चल रहे मामलों की संख्या चार गुना बढ़ चुकी है। बार काउंसिल ने इस तथ्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि इतनी अधिक बढ़ोतरी के बावजूद राजस्व में इतनी भारी कमी कैसे हो सकती है, अगर सरकार की दी गई जानकारी सही है तो इसकी जांच होनी चाहिए।
ज्ञातव्य राज्य सरकार ने कोर्ट फीस संशोधन बिल 2022 भी पेश किया था, जिसमें बढ़ौतरी की गई थी, जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है। बार काउंसिल का कहना है कि यह बढ़ोतरी गरीब और मध्यम वर्ग के लिए असहनीय साबित हो रही है। उन्होंने कोर्ट से मांग की है कि इस बढ़ोतरी को पुनः परीक्षण में लिया जाए ताकि न्याय व्यवस्था में सभी वर्गों को समान रूप से और उचित सेवा मिल सके। इस जनहित याचिका की अगली सुनवाई छठ पर्व के बाद होगी।
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