रांची , अक्टूबर 15 -- झारखंड के हजारीबाग में वन भूमि घोटाले मामले में आज एसीबी ने पंचायती राज विभाग के उपनिदेशक शैलेश कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

सूत्रों के अनुसार, पूछताछ के आधार पर उनकी गिरफ्तारी भी संभव है। शैलेश कुमार उस समय हजारीबाग के सदर अंचल में सीओ के पद पर तैनात थे जब जमीनों में कथित हेराफेरी हुई थी।

ज्ञातव्य है कि यह घोटाला वर्ष 2010 के आसपास का है, जिसमें जमीन के दस्तावेजों में गड़बड़ी कर गैरमजरुआ खास भूमि को रैयती जमीन बताकर उसका म्यूटेशन कराया गया था। इस घोटाले में पहले से ही विनय कुमार सिंह नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसे अब एसीबी रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ की योजना बना रही है। छापेमारी के दौरान उसके विभिन्न ठिकानों से कई जमीन के महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए हैं। एसीबी ने विनय सिंह की पत्नी स्निग्धा सिंह को भी नोटिस भेजकर जांच में सहयोग के लिए तलब किया है।

घोटाले की जांच के दौरान यह सामने आया है कि तत्कालीन डीसी विनय चौबे ने गड़बड़ी में अहम भूमिका निभाई थी। अधीनस्थ अधिकारियों और राजस्व कर्मचारियों की मिलीभगत से दस्तावेजों में गलत तरीके से म्यूटेशन कराया गया। इस कड़ी में एडीएम रैंक की अधिकारी अलका कुमारी का बयान भी एसीबी की विशेष अदालत में दर्ज है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में वे सदर सीओ के तौर पर तैनात थीं जब विनय चौबे ने उन्हें विनय सिंह से मिलवाया और म्यूटेशन कराने के लिए दबाव डाला। उनका कहना है कि जमीन का 28 डिसमिल हिस्सा गैरमजरुआ खास श्रेणी का था, जिसका म्यूटेशन नियमों के खिलाफ था।

अलका कुमारी ने अपने आपत्ति जताने पर राजस्व कर्मचारी संतोष कुमार वर्मा से जांच करने को कहा था, लेकिन जांच रिपोर्ट को भी दबाव में बदला गया। अब एसीबी अधिकारियों की टीम पूरे नेटवर्क की तहकीकात में लगी है और आरोपित अधिकारी व कर्मचारी कई सवालों के घेरे में हैं। माना जा रहा है कि इस जांच से जल्द ही घोटाले के और भी बड़े राज खुलेंगे और कुछ अन्य अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

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