रांची , नवंबर 24 -- झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) पर विवादित बयान देकर राजनीतिक हलचल मचा दी है।
जामताड़ा जिले में आयोजित सेवा के अधिकार सप्ताह कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि अगर कोई बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) उनके इलाके में एसआईआर के तहत वोटर लिस्ट से नाम काटने के लिए घर आए तो उसे घर में बंद कर दें। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि एसआईआर के नाम पर आने वाले अधिकारियों को किसी भी कीमत पर नाम काटने न दें और उनकी जानकारी सीधे उनसे साझा करें।
मंत्री अंसारी ने बिहार का उदाहरण देते हुए दावा किया कि वहां स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के कारण 65 लाख लोगों के वोटर नाम काटे गए थे, जिससे महागठबंधन की करीब 80 विधानसभा सीटें छिन गईं। उनका आरोप है कि भाजपा इस प्रक्रिया का इस्तेमाल वोटर सूची से अल्पसंख्यक, दलित और आदिवासी वर्ग के लोगों के नाम हटाने और घुसपैठिये बताने के लिए कर रही है। उन्होंने कहा कि इस साजिश को झारखंड में भी लागू करने की तैयारी है।
इस बयान के बाद भाजपा ने अंसारी की तीखी आलोचना करते हुए इसे लोकतांत्रिक मर्यादाओं का उल्लंघन और अराजकता को बढ़ावा देने वाला करार दिया है। भाजपा प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि मंत्री ने संविधान की शपथ तो ली है लेकिन सरकारी अधिकारियों को बंधक बनाने की बात कर रहे हैं। गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने भी इसे हिटलरशाही बताया और चेतावनी दी कि किसी भी घटना की जिम्मेदारी मंत्री पर होगी।
चुनाव आयोग ने झारखंड सरकार से इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि एसआईआर एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाना है। झारखंड में इस प्रक्रिया का अभी पूर्वाभ्यास चल रहा है, लेकिन राजनीतिक दल इसे चुनावी हथियार बना रहे हैं।
एसआईआर की प्रक्रिया में मतदाता सूची से मृत, फर्जी या अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाने और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ने का काम होता है, लेकिन विपक्ष इसे गरीब और अल्पसंख्यक वर्ग के मताधिकारों पर हमला मानता है। इस विवाद ने आगामी चुनावों में इस मुद्दे को गरमाया दिया है और जनता में मतदाता अधिकारों को लेकर बहस छेड़ दी है।
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