रांची , नवम्बर 24 -- प्रख्यात निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी की चर्चित फिल्म 'सत्यकाम' की शूटिंग के दौरान अभिनेता धर्मेंद्र ने झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता को करीब से महसूस किया था।

1967 के जाड़े के मौसम में यह टीम घाटशिला के फूलडुंगरी पहाड़ में करीब एक महीने तक रुकी थी। नारायण सान्याल के उपन्यास पर आधारित इस फिल्म में धर्मेंद्र, शर्मिला टैगोर और संजीव कुमार ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं।

'सत्यकाम' की कहानी खदान में काम करने वाले मजदूरों की जिंदगी और उनके शोषण पर केंद्रित थी। फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे खदान मालिक दुर्घटनाओं और कठिन परिस्थितियों के बावजूद मजदूरों का दोहन करते थे। ऋषिकेश मुखर्जी ने फिल्म की पृष्ठभूमि के लिए घाटशिला के पहाड़ों और हरियाली को चुना, ताकि कहानी को यथार्थपरक रूप दिया जा सके।

इससे पहले 1966 में ऋषिकेश मुखर्जी ने अपनी दूसरी फिल्म 'मोहब्बत जिंदगी है' की शूटिंग के लिए धनबाद का रुख किया था। यहां तोपचांची झील के जंगलों में लोकप्रिय गीत "तुम्हारी मुलाकात से" फिल्माया गया था। उस समय स्थानीय लोग भी इन फिल्मों की शूटिंग देखने बड़ी संख्या में पहुंचते थे, जिससे इलाके में फिल्मी माहौल बन जाता था।

'सत्यकाम' फिल्म 1969 में रिलीज हुई और इसे दर्शकों ने खूब सराहा। धर्मेंद्र ने शूटिंग के दौरान लगभग 19 दिन घाटशिला में बिताए और कई बार टाटा नगर का भी दौरा किया। उन्होंने झारखंड (तत्कालीन दक्षिण बिहार) की हरियाली, स्वच्छ वातावरण और शांत जीवनशैली की सराहना की थी।

इस फिल्म के कई गीत बेहद लोकप्रिय साबित हुए, जिनमें मोहम्मद रफी की आवाज में "हर तरफ अब यही अफसाने हैं", "हम तेरे प्यार के दीवाने हैं" और लता मंगेशकर का "अब के बरस भेज भैया को बाबुल" जैसे गीत शामिल हैं। इन गीतों में झारखंड के पर्वतीय सौंदर्य और हरियाली की झलक देखने को मिलती है।

फिल्म 'सत्यकाम' न केवल अपने सामाजिक संदेश के कारण याद की जाती है, बल्कि इसलिए भी कि इसकी शूटिंग ने झारखंड के प्राकृतिक वैभव को हिंदी सिनेमा के परदे पर अमर कर दिया।

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