दुमका , अक्टूबर 16 -- ारखंड में दुमका की एक अदालत ने आठ साल पुराने मामले में राज्य की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह सहित सात नामजद आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में रिहा करने का फैसला सुनाया।

दुमका के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी सह सांसद व विधायक की विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश मोहित चौधरी की अदालत में गोड्डा जिले के महगामा थाना कांड संख्या 72/2017 में गुरूवार को सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई। सरकार की ओर से लोक अभियोजक और बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रतीक झा एवं प्रशांत कुमार ने बहस में हिस्सा लिया।

इस मामले में अदालत में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से 12 गवाह पेश किये गये। अदालत ने सभी गवाहों के बयान के आधार पर पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में इस मामले में झारखंड की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह, अरविंद झा, अभिनव कुमार, मो एकराम, उमेश कुमार झा, नीरज कुमार और मो शब्बीर समेत सभी सात नामजद आरोपियों को रिहा करने का फैसला सुनाया।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रतीक झा से मिली जानकारी के अनुसार गोड्डा जिले के महगामा के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी उदय कुमार के लिखित आवेदन पर महगामा थाना में 24 जून 2017 को भादवि की धारा 147,149,353,332,427,283,504,506 और 120 बी के तहत उक्त नामजद आरोपियों के साथ 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।

जिसमें उक्त तिथि को महगामा थाना क्षेत्र के बसुआ चौंक पर हाइवा से टक्कर लग जाने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी थी। इस घटना के विरोध में उक्त नामजद आरोपियों के साथ अज्ञात लोग तिरपाल बिछा कर सड़क जाम कर आवागमन अवरुद्ध कर दिया। थाना से मिली इस सूचना पर सूचक प्रखंड विकास पदाधिकारी उदय कुमार के नेतृत्व में प्रशासन व पुलिस बल के साथ जाम हटाने पहुंचे। इसी क्रम में उक्त आरोपियों ने एक साजिश के तहत पुलिस बल के धक्का-मुक्की करने लगा। वहीं पोस्टमार्टम के क्रम में रिपोर्ट फाड़ देने तथा सरकारी काम में व्यावधान उत्पन्न करने का आरोप लगाया गया था।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित