नयी दिल्ली , अक्टूबर 11 -- स्वतंत्र भारत में भ्रष्टाचार और अधिनायकवाद के विरुद्ध 'सम्पूर्ण क्रांति' का नारा देकर 1970 के दशक में युवाओं का सबसे बड़ा आंदोलन खड़ा करने वाले 'लोकनायक' जयप्रकाश नारायण की 123वीं जयंती पर शनिवार को उनको मानने वालों ने जगह-जगह श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किये।

दिवंगत नेता को सोशल मीडिया पर भी याद किया और इसमें गणमान्य से लेकर सामान्य जन तक ने जयप्रकाश नारायण के देश की राजनीति में महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता के महती योगदान का उल्लेख किया।

जेपी नाम से लोकप्रिय जयप्रकाश नारायण की जयंती पर इस बार एक बड़ा कार्यक्रम बिहार के सारण जिले में उनकी जन्मस्थली सीताब दियारा गांव में उनके पैतृक घर पर हुआ। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शनिवार को सीताब दियारा पहुंच कर महान नेता की स्मृतियों को याद किया और वहां घर में रखे उनके अभिलेखों और स्मृति चिह्नों को देखा।

उपराष्ट्रपति ने उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "भारत रत्न लोकनायक जयप्रकाश नारायणजी की 123वीं जयंती पर बिहार के सारण जिले में उनके पैतृक गांव सीताब दियारा में उनके स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।" उपराष्ट्रपति ने बाद में लाला टोला, सिताब दियारा स्थित जयप्रभा स्मृति भवन में प्रदर्शनी गैलरी का अवलोकन किया जिसे लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती देवी की स्मृति में स्थापित किया गया है।

श्री राधाकृष्ण ने इस बात का भी उल्लेख किया कि किस प्रकार वह व्यवस्था परिवर्तन के जेपी के आह्वान पर 19 वर्ष की आयु में संपूर्णक्रांति के आंदोलन में जुड़ गये थे। जेपी आंदोलन के बाद केंद्र में पहली बार 1977 में गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में सामाजिक-राजनीतिक जागृति को प्रेरित करने में जेपी की भूमिका का स्मरण किया। श्री मोदी ने आपातकाल के दौरान लिखी गई लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 'जेल डायरी' के 25 जुलाई, 1975 को लिखे दुर्लभ पृष्ठ को भी साझा किया।

श्री मोदी ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने विशेष रूप से बिहार और गुजरात में कई जन आंदोलनों को प्रेरित किया, जिससे पूरे भारत में सामाजिक-राजनीतिक जागृति आई। इन आंदोलनों ने केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार को हिलाकर रख दिया, जिसने आपातकाल लागू किया और संविधान को रौंद डाला।

उन्होंने कहा कि जेपी ने अपना जीवन आम नागरिकों को सशक्त बनाने और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए समर्पित कर दिया। उनके संपूर्ण क्रांति के आह्वान ने एक सामाजिक आंदोलन को प्रज्वलित किया, जिसका उद्देश्य समानता, नैतिकता और सुशासन पर आधारित राष्ट्र का निर्माण करना था।

प्रधानमंत्री ने जेपी के इन मार्मिक शब्दों का भी उल्लेख किया जिनमें उन्होंने कहा था, "भारतीय लोकतंत्र के ताबूत में ठोकी गई हर कील मेरे दिल में ठोकी गई कील के समान है।"भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लोकनायक के चित्र पर माल्यर्पण किया और सोशल मीडिया पर कहा, "मेरा सौभाग्य है कि वर्ष-1975 में आपातकाल के दौरान लोकनायक द्वारा शुरू किए गये 'संपूर्ण क्रांति आंदोलन' में सम्मिलित होकर राजनीति के माध्यम से राष्ट्र और जनता की सेवा का संकल्प लिया था। लोकतंत्र के सशक्त प्रहरी के रूप में जेपी ने व्यवस्था परिवर्तन को अपना लक्ष्य बनाया और सदैव जन-आवाज़ को सर्वोपरि रखा। आज उनके आदर्शों पर चलते हुए मोदी सरकार जनता के अधिकार, न्याय, सुशासन और स्वराज के लिए समर्पित है।"जनता दल यूनाइटेड (जद यू) ने भी नयी दिल्ली में जेपी जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया जहां पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित किये। इस कार्यक्रम में पार्टी के बौद्धिक प्रकोष्ठ के डॉ संजय कुमार और मोहम्मद निसार और पार्टी के अनेक कार्यकर्ता शामिल हुए।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ लखनऊ में पार्टी के कार्यालय सभागार में जेपी की आवक्ष प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस बीच आज लखनऊ में जयप्रकाश नारायण नेशनल कन्वेंशन सेंटर (जेपीनिक) के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे।

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