अमृतसर , नवंबर 27 -- गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ने गुरुवार को पंजाब में बाढ़ के बाद पुनर्वास प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए ग्लोबल सिख और कल्चरल रिसोर्स कंजर्वेशन इनिशिएटिव (सीआरसीआई) इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नयी दिल्ली के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये। इस साझेदारी का उद्देश्य बाढ़ से तबाह हुए घरों का पुनर्निर्माण करना है, जिसमें नवीन, जलवायु-लचीले वास्तुशिल्प समाधानों का उपयोग किया जाएगा, जो पारंपरिक पंजाबी भवन ज्ञान को आधुनिक इंजीनियरिंग के साथ एकीकृत करते हैं।
समझौता ज्ञापन पर विश्वविद्यालय की ओर से रजिस्ट्रार प्रो. के.एस. चहल, सीआरसीआई की ओर से आर. गुरमीत राय और ग्लोबल सिख की ओर से श्री अमरप्रीत सिंह ने प्रोफेसर पलविंदर सिंह डीन (शैक्षणिक मामले), प्रोफेसर नवदीप सिंह सोढ़ी (विश्वविद्यालय-उद्योग संपर्क समन्वयक) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये।
कुलपति प्रोफेसर करमजीत सिंह ने कहा कि इस साझेदारी का उद्देश्य अकादमिक अनुसंधान, ऑन-साइट दस्तावेज़ीकरण, सामुदायिक परामर्श और डिजाइन विकास को एकीकृत करना है, ताकि उन परिवारों की मदद की जा सके, जिनके घर 2025 में पंजाब में विनाशकारी बाढ़ से नष्ट हो गये थे या गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे। यह पहल पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और समकालीन डिजाइन रणनीतियों दोनों पर आधारित लचीले आवास समाधान विकसित करने के लिए बहु-विषयक विशेषज्ञता को एक साथ लाती है।
प्रो. के एस चहल ने बताया कि इस समझौते के तहत, जीएनडीयू के वास्तुकला विभाग के छात्र और संकाय ग्लोबल सिख्स और सीआरसीआई के विशेषज्ञों के साथ मिलकर फील्ड डॉक्यूमेंटेशन, आवास मूल्यांकन, तुलनात्मक विश्लेषण और टूलकिट विकास का काम करेंगे। इस सहयोग का उद्देश्य सामुदायिक सुझावों और स्थानीय निर्माण प्रथाओं के आधार पर नये बाढ़-रोधी घरों के लिए डिज़ाइन प्रोटोटाइप तैयार करना भी है।
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