नयी दिल्ली , नवंबर 25 -- जलवायु परिवर्तन पर हाल में आयोजित कॉप30 के दक्षिण एशिया के लिए विशेष दूत अरुणाभा घोष ने कहा है कि इस वैश्विक संकट से निपटने के लिये दुनिया में काफी वार्ताएं हुई हैं जिनके परिणाम सामने आये हैं और अब पहल करने की जरूरत है।
सीईईडब्ल्यू के मुख्य कार्यकारी अधिकारी घोष ने कहा कि ऐसे समय में जब यह डर था कि चर्चा मौजूदा वास्तविकता और पहले से चल रही कार्रवाई से बेपटरी हो सकती है, ब्राजील में कॉप30 में चर्चा इन दोनों बातों पर लौट आयी। एक ऐसे वर्ष में, जहां जलवायु बहुपक्षवाद को चुनौती दी गई है, वहां पर एक सर्वाेत्तम समझौते की तलाश में कोई भी समझौता न करने की जगह, एक अच्छा समझौता करना कहीं बेहतर रहा।
उन्होंने कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए धन की उपलब्धता कम से कम तीन गुना करने की अपील की है, भले ही इसमें 2035 तक का समय क्यों न लगे। कॉप-30 में जलवायु वित्त पर दो साल का विस्तृत कार्यक्रम स्थापित करने का निर्णय लिया गया। अगले साल एक उच्च-स्तरीय संवाद तथा एक ग्लोबल इंप्लीमेंटशन एक्सिलेटर शुरू करने के निर्णय जैसे कई महत्वपूर्ण कदम देखे हैं।
उन्होंने एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया जो विभिन्न कॉप का वैसे ही मूल्यांकन करे जैसे कंपनी बोर्ड योजनाओं पर नहीं, बल्कि अंतिम परिणामों के वार्षिक प्रदर्शन का मूल्यांकन करते हैं ।
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