रांची , नवम्बर 25 -- झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने दलमा इको सेंसेटिव जोन और पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन को लेकर हेमंत सरकार पर हमला बोला है।

श्री मरांडी ने आज लिखा कि, दलमा ईको-सेंसिटिव ज़ोन के भीतर, विशेष रूप से चकुलिया चेकनाका और मकरूकोंचा की पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन चल रहा है। खनन किए गए पत्थर जंगल के भीतर बने खुले इलाकों और गड्ढों में इकट्ठे किए जा रहे हैं, पत्थर के ढेर साफ़ दिखाई देते हैं। पत्थरों को रात के समय ट्रैक्टर और गाड़ियों से क्रशर तक पहुँचाया जा रहा है।

स्थानीय स्तर पर सबको पता है कि क्रशर किसका है और अवैध खनन में कौन सक्रिय है, स्पष्ट है कि पुलिस को भी जानकारी होगी और खनन विभाग को भी लेकिन रैयती भूमि बताकर सब अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं। जबकि यह भी अवैध खनन की ही श्रेणी में आता है, लेकिन जब खुद मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय अफ़सरों तक सबको हिस्सा पहुँचाया जा रहा हो, तो अवैध खनन रोकने की इच्छा किसी खनिज की तरह ही दुर्लभ हो जाती है।

दलमा ईको-सेंसिटिव ज़ोन में जो हो रहा है, उसे देखकर लगता है कि राज्य सरकार ने केंद्रीय अधिसूचना को पढ़ा ज़रूर होगा, बस मानने की ज़रूरत नहीं समझी। 2012 की अधिसूचना साफ़ कहती है कि इस ज़ोन में खनन, क्रशिंग, मशीनरी - सब प्रतिबंधित है; यहाँ तक कि पत्थर काटने वाले क्रशर तक की मनाही है। लेकिन दलमा के जंगलों में जिस तरह रात भर जेसीबी से खनन होता है और पहाड़ों पर गहरे गड्ढे बनते जा रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि सरकार ने एक "खास" संशोधन और कर रखा है - जहाँ माफ़िया की कमाई ज़्यादा हो, वहाँ कानून अपने-आप निलंबित माना जाए।जिस सरकार को इको सेंसेटिव जोन के ज़ोनल मास्टर प्लान पर दो साल में कार्रवाई करनी थी, उसने तो उल्टा जंगल का मास्टर प्लान ही माफियाओं को सौंप दिया है।

जंगल कट रहे हैं, पहाड़ खोखले हो रहे हैं, और सरकार मौन नहीं है; सरकार मूक सहमति दे रही है, क्योंकि उसका हिस्सा हर रात ट्रक-दर-ट्रक निकलता है।

श्री मरांडी ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, अगर आप झारखंड को लूटने वाले इस गिरोह में शामिल नहीं हैं, आपकी सरकार इसमें संलिप्त नहीं है, तो रुकवाइए यह अवैध खनन और इसमें शामिल माफ़िया पर कार्रवाई कीजिए। यदि नहीं कर पा रहे हैं, तो इसका एक ही कारण है, और वह यह है कि यह सब आपके लालच का नतीजा है। झारखंड की खनिज संपदा को मुख्यमंत्री जी ने व्यक्तिगत कमाई का ज़रिया बना लिया है।

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