नैनीताल , नवंबर 24 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आने वाले फायर सीजन में प्रदेश के जंगलों को आग से बचाने के लिए प्रसिद्ध पर्यावरणविद प्रोफेसर अजय रावत से अगली सुनवाई पांच दिसंबर को अपने सुझाव और मार्गदर्शन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने वनाग्नि से जुड़ी याचिकाओं पर आज एक साथ सुनवाई की।
न्यायमित्र अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने अदालत को बताया कि उच्च न्यायालय वर्ष 2016 और 2021 से राज्य सरकार को वनों को आग से बचाने के लिए दिशा निर्देश जारी करती आ रही है लेकिन अभी तक धरातल पर कुछ भी ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। फायर सीजन में प्रदेश के जंगल भीषण रूप से आग की भेंट चढ़ जाते हैं।
वनाग्नि की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछली सुनवाई पर अदालत ने पर्यावरणविद की अगुवाई में एक कमेटी गठित करने और उनके सुझाव लेने की बात कही थी।
श्री मैनाली ने अदालत को बताया कि पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत की अगुवाई में कमेटी गठित की जा सकती है। उन्होंने अपनी स्वीकृति दे दी है। श्री मैनाली ने बताया कि अंत में अदालत ने उन्हें अगली सुनवाई पर प्रो0 रावत को वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश होने और सुझाव देने के निर्देश दिए हैं।
उल्लेखनीय है कि समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों पर अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए एक जनहित याचिका दायर की थी। यही नही राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी जंगलों को बचाने के लिए मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखा था जिसमें कहा था कि वन, वन्य जीवों और पर्यावरण को बचाने के लिए उच्च न्यायालय राज्य को दिशा निर्देश जारी करें।
उच्च न्यायालय ने वर्ष 2016 में भी जंगलो को आग से बचाने के लिए गाइड लाइन जारी की थी। अदालत ने अपने दिशानिर्देशों में कहा था कि गांव स्तर पर आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित करें। साथ ही ग्रामीणों में जागरूकता पैदा करने के लिए ठोस कार्यक्रम चलाने के निर्देश दिए थे।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित