बैतूल , नवंबर 25 -- भारत की दृष्टिबाधित महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार आयोजित टी-20 विश्व कप में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है। इस जीत में मध्यप्रदेश की तीन बेटियों दमोह की सुषमा पटेल, नर्मदापुरम के पिपरिया की सुनीता और बैतूल जिले के छोटे से गांव रानिया गौली की दुर्गा यादव ने अहम भूमिका निभाई। खेती-किसानी करने वाले साधारण परिवार से आने वाली दुर्गा ने अपने जज़्बे और उत्कृष्ट खेल के दम पर प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है।

विश्व कप अभियान की शुरुआत भारत ने दिल्ली में श्रीलंका के खिलाफ मुकाबले से की थी। टीम ने कुल पाँच लीग मैच खेले दो दिल्ली में, एक बेंगलुरु में और दो कोलंबो में। दमदार प्रदर्शन के बदौलत भारत सेमीफाइनल में पहुँचा, जहाँ टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर फाइनल में प्रवेश किया। इस जीत के बाद देशभर की उम्मीदें भारतीय टीम पर टिक गई थीं।

फाइनल मुकाबले में भारत का सामना नेपाल से हुआ। बैतूल की खिलाड़ी दुर्गा यादव के अनुसार भारत ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का निर्णय लिया। नेपाल ने 115 रन का लक्ष्य दिया, जिसे भारतीय टीम ने मात्र 12.1 ओवर में तीन विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया। पूरे टूर्नामेंट में भारत ने सात में से पाँच मैच जीतकर शानदार प्रदर्शन किया।

दुर्गा यादव ने बताया कि टीम वर्तमान में बेंगलुरु में है और जल्द ही दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की संभावना है। उन्होंने कहा कि विश्व कप की यह उपलब्धि देशभर की दृष्टिबाधित बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी। साधारण किसान परिवार से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकने वाली दुर्गा की सफलता यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से हर सपना पूरा किया जा सकता है।

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