जगदलपुर , नवंबर 26 -- छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा नई कलेक्टर गाइडलाइन दरें लागू करते ही प्रदेश के भूमि बाजार में हलचल तेज हो गई है। जमीन, मकान और प्लॉट की सरकारी दरों में 10 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक की कथित अप्रत्याशित वृद्धि ने आम नागरिकों और रियल एस्टेट सेक्टर को चिंता में डाल दिया है। कथित तौर पर कई जिलों में यह उछाल 150 से 300 प्रतिशत तक पहुंचने की रिपोर्ट भी सामने आ रही हैं, जिसके बाद रजिस्ट्री शुल्क, स्टांप ड्यूटी और पंजीयन से जुड़ी अन्य औपचारिकताएँ पहले की तुलना में कई गुना महंगी हो गई हैं। इस बढ़ोतरी का प्रभाव ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से देखा जा रहा है, जिससे भूमि लेन-देन में अचानक कमी दर्ज की गई है। पंजीयन कार्यालयों में ग्राहक पहुँच रहे हैं, लेकिन पंजीयन प्रक्रिया महंगी होने से सौदे अंतिम रूप तक नहीं पहुँच पा रहे हैं।
चैंबर ऑफ कॉमर्स बस्तर के अध्यक्ष विमल बोथरा ने बुधवार को यूनीवार्ता के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार के इस ताजे फैसले का विरोध है, पूरे बस्तर से विरोध की रिपोर्ट्स हमारे पास हैं। केंद्रीय कार्यालय रायपुर में भी बात हुई है, आज यहां एक बैठक हुई है इस बैठक में दस्तावेज लेखकों ने भी हिस्सा लिया था।
चैंबर ऑफ कॉमर्स से मिली प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, क्षेत्रवार आर्थिक स्थिति और भू-उपयोग क्षमता का उचित आंकलन किए बिना इतनी बड़ी वृद्धि लागू कर दी गई, जो व्यवहारिक दृष्टि से उचित नहीं है। बिल्डरों का मानना है कि जमीन महंगी होने से निर्माण लागत भी बढ़ेगी, जिससे मध्यम और निम्न आय वर्ग के लिए घर बनाना या प्लॉट खरीदना और कठिन हो जाएगा।
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