रांची , अक्टूबर 01 -- चौथा 'जयपाल-जुलियस-हन्ना साहित्य पुरस्कार' अरुणाचल और झारखंड की तीन आदिवासी पांडुलिपियों को दिया जाएगा।

ये कृतियाँ हैं-अरुणाचल प्रदेश की ओल्लो कवयित्री सोनी रूमछु का काव्य-संग्रह 'वह केवल पेड़ नहीं था', 'हो', लेखक काशराय कुदादा की 'दुपुब दिषुम' और मनोज मुर्मू का संताली काव्य-संग्रह 'मानवा जियो़न'। इन सभी पुरस्कार विजेताओं को 9 नवंबर को रांची में आयोजित सम्मान समारोह में सम्मानित किया जाएगा।

चौथे 'जयपाल-जुलियस-हन्ना साहित्य पुरस्कार 2025' की चयन-समिति की संयोजिका डॉ. प्रीति रंजना डुंगडुंग ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन द्वारा स्थापित 'जयपाल-जुलियस-हन्ना साहित्य पुरस्कार 2025' के लिए देश भर से आदिवासी पांडुलिपियाँ आमंत्रित की गई थीं। हमें 40 से अधिक पांडुलिपियाँ प्राप्त हुईं। प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन द्वारा गठित चयन-समिति ने उनमें से तीन का चयन किया। चयनित पांडुलिपियों में दो आदिवासी भाषाओं में हैं, जबकि एक हिंदी में है। पुरस्कार समारोह 9 नवंबर को रांची में आयोजित किया जाएगा।

फाउंडेशन की सचिव एवं प्रख्यात आदिवासी विदुषी वंदना टेटे ने पुरस्कार के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आदिवासी भाषाओं के लेखकों तथा उनकी अप्रकाशित रचनाओं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह पुरस्कार 2022 में प्रारंभ किया गया। इसके अंतर्गत प्रत्येक वर्ष तीन उत्कृष्ट अप्रकाशित पांडुलिपियों को पुरस्कृत एवं प्रकाशित किया जाता है। भारत के आधुनिक आदिवासी आंदोलन के तीन महान नायकों-जयपाल सिंह मुंडा, जुलियस तिग्गा और हन्ना बोदरा-के नाम पर स्थापित इस योजना के तहत अब तक नौ आदिवासी रचनाकारों को सम्मानित किया जा चुका है।

श्रीमती टेटे ने बताया कि यह पुरस्कार 'झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा' और 'टाटा स्टील फाउंडेशन, जमशेदपुर' के सहयोग से प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है। विजेता पांडुलिपियों के लेखकों को उनकी प्रकाशित पुस्तक की 50 प्रतियाँ निःशुल्क दी जाती हैं, साथ ही पुस्तकों की बिक्री पर 10% वार्षिक रॉयल्टी का प्रावधान है। सम्मान समारोह में 100 प्रतियों की रॉयल्टी अग्रिम रूप से नकद प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त विजेताओं को अंगवस्त्र, मानपत्र एवं प्रतीक-चिह्न भेंट किए जाते हैं।

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