चेन्नई , अक्टूबर 10 -- दुनिया की प्रमुख स्वतंत्र नेट जीरो प्रमाणन संस्था ग्लोबल नेटवर्क फॉर जीरो (जीएनएफजेड) ने शुक्रवार को चेन्नई में व्यावसायिक प्रमुखों, नीति निर्माताओं, डेवलपर्स और इससे जुड़े विशेषज्ञों से नेट जीरो कार्रवाई का आह्वान किया।
सह-मेजबान प्रोक्लाइम और ज्ञान सहयोगी आईआईटी-मद्रास के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।
इन संगठनों ने मिलकर शहर के नेट जीरो परिवर्तन के लिए एक विश्वसनीय रास्ता सुझाया, जिसमें भारत के जलवायु संकट में एक अग्रणी हॉटस्पॉट और सतत विकास के अवसर के केंद्र के रूप में चेन्नई की भूमिका का उल्लेख किया गया ।
इस चर्चा में जीएनएफजेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संचालन) तपन मजूमदार सहित कई विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिन्होंने व्यावहारिक समाधानों का उल्लेख किया है।
इसमें स्कोप 3 उत्सर्जन पर विशेष ध्यान दिया गया, जो अक्सर किसी संगठन के कार्बन फुटप्रिंट का सबसे बड़ा हिस्सा होता है लेकिन भारत में इसकी लगातार कम रिपोर्टिंग और प्रबंधन किया जाता है।
उन्होंने चेन्नई का हवाला देते हुए कहा कि भारत अपने शहरी और जलवायु भविष्य के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। वर्ष 2025 में रिकॉर् डतोड़ गर्मी ने बिजली की मांग को ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा दिया, जबकि तटीय बाढ़ ने हजारों परिवारों को विस्थापित कर दिया और उद्योगों को अस्त-व्यस्त कर दिया।
शोध से पता चलता है कि अनियंत्रित जलवायु जोखिम 2050 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सालाना 2.8 प्रतिशत तक की कमी ला सकते हैं, जिसमें चेन्नई, मुंबई और दिल्ली जैसे शहर सबसे अधिक प्रभावित होंगे। चेन्नई इन जोखिमों को बखूबी दर्शाता है। पिछले तीन दशकों में शहर का निर्मित क्षेत्रफल 48 प्रतिशत से बढ़कर 74 प्रतिशत हो गया है, जबकि हरित आवरण में तेजी से गिरावट आई है, जिससे गर्मी का दबाव और बाढ़ की आशंका और बढ़ गई है।
भारत के नेट-जीरो परिवर्तन में चेन्नई की केंद्रीय भूमिका पर इस कार्यक्रम में जोर दिया गया। तमिलनाडु पहले से ही हरित भवन अपनाने में अग्रणी राज्यों में से एक है, इसलिए चेन्नई के पास जलवायु-प्रतिरोधी शहरी विकास के लिए एक आदर्श बनने का अवसर है।
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