पटना, अक्टूबर 10 -- बिहार में चुनाव आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन प्रदेश के दोनो बड़े राजनीतिक गुटों, महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सीटों की शेयरिंग अभी तक स्पष्ट नही हुई है।

दोनों गठबंधनों की अपने-अपने घटक दलों के साथ लगातार चल रही बैठकों से मिल रहे संकेतों के अनुसार लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान से बात नही बनने की वजह से राजग की सीट शेयरिंग रुकी पड़ी है और दूसरी तरफ 'सन ऑफ मल्लाह' मुकेश सहनी ने महागठबंधन को अपनी पेंच में फंसा रखा है।

जहां तक राजग का प्रश्न है बिहार विधानसभा में 243 की कुल संख्या में शतक अर्थात 100 सीटों से नीचे उतरने के लिए ना तो जनता दल यूनाईटेड (जदयू) तैयार है और ना ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी गिनती कम करना चाहती है।

बची हुई 43 सीटों में लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान ने पहले 45 सीटें मांगी थी जो उपलब्ध सीटों से भी ज्यादा है।

इस बीच लोजपा (रामविलास) के सूत्रों ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने अपनी सूची घटा कर 35 की और अब 30 पर भी राजी हैं, बशर्ते सीटें मनपसंद वाली मिलें। चिराग की सूची में भाजपा की सीटिंग सीट गोविंदगंज, हिंदुस्तान आवामी मोर्चा (हम) की सिकंदरा, जदयू की ब्रम्हपुर और चकाई की सीट है जहां से मंत्री सुमित सिंह विधायक हैं। चिराग को मनाने की कोशिशें जारी हैं लेकिन केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से चिराग की मुलाकात के बावजूद अब तक कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया है ।

सीट शेयरिंग की इस कवायद में चिराग पासवान की उम्मीदें भाजपा पर टिकी हैं। खुद को श्री पासवान भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान कहें लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनके समीकरण सुखद नही है। पिछले विधानसभा चुनाव में श्री पासवान के चुनावी दांव पेंच के कारण जदयू महज 43 सीटों पर सिमट गई थी। जदयू आज भी श्री पासवान के दिये इस घाव की टीस से कराह उठती है।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित