भोपाल , अक्टूबर 15 -- मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जीवन अनमोल है, इसलिए चाहे कितनी भी जल्दी हो, सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी किसी भी सूरत में उचित नहीं है। दुनिया का कोई भी काम किसी की जिंदगी से बड़ा नहीं होता। हर नागरिक को सड़क पर चलते समय सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि "हम सुधरेंगे तो जग भी सुधरेगा", इसलिए सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करना हमारी जरूरत के साथ-साथ एक जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी भी है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी में आयोजित एक दिवसीय राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अच्छे वाहन चालक की पहचान उसकी गति से नहीं, बल्कि उसके जिम्मेदार आचरण से होती है। सड़क सुरक्षा के प्रति सामूहिक सजगता से ही दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि हेलमेट पहनना और सीट बेल्ट लगाना केवल नियमों का पालन नहीं, बल्कि स्वयं की सुरक्षा का सबसे सरल उपाय है। सरकार सड़कें सुधार सकती है, हेलमेट बाँट सकती है, नियम बना सकती है - लेकिन वाहन का नियंत्रण चालक के हाथ में ही है।
कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने सड़क सुरक्षा के आधुनिक उपायों पर आधारित एडवांस एप्लीकेशन "संजय" का शुभारंभ किया। इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग एवं मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम लिमिटेड द्वारा आईआईटी मद्रास और सेव लाइफ फाउंडेशन के साथ सड़क सुरक्षा प्रबंधन और डीडीएचआई पर दो एमओयू भी हस्ताक्षरित किए गए। मुख्यमंत्री ने आईआईटी मद्रास द्वारा तैयार 'सड़क सुरक्षा शिक्षा प्रणाली' पुस्तक एवं 'रोड सेफ्टी रिपोर्ट' का भी विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 9 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग और 11 हजार किलोमीटर राज्य मार्ग का नेटवर्क है। इन सड़कों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा पर मंथन से निकले सुझाव भविष्य में सड़क सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक धरोहर साबित होंगे।
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि सड़कें किसी भी प्रदेश की प्रगति की रीढ़ हैं। जैसे-जैसे सड़कों का आधुनिकीकरण हो रहा है, दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ा है। इस चुनौती से निपटने के लिए समाज की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने बताया कि विभाग ने "लोकपथ ऐप" विकसित किया है, जिसके माध्यम से सड़क क्षति या दुर्घटना की जानकारी तत्काल साझा की जा सकती है। इसमें ब्लैक स्पॉट अलर्ट सिस्टम, पेट्रोल पंप और रिपेयर स्टेशन की जानकारी जैसी सुविधाएँ भी जोड़ी गई हैं।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि देश में लगभग 53 प्रतिशत दुर्घटनाएँ दोपहिया वाहनों से जुड़ी हैं, जिनमें से 60 प्रतिशत जानें हेलमेट पहनने से बचाई जा सकती हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार एक नया इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम शुरू कर रही है, जिसके तहत दुर्घटना की सूचना तुरंत अस्पताल तक पहुँचेगी और पहले सात दिनों का इलाज डेढ़ लाख रुपये तक नि:शुल्क कराया जाएगा।
आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर वेंकटेश बालासुब्रमण्यम ने कहा कि मध्यप्रदेश सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में मॉडल राज्य बनने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है। सड़क सुरक्षा केवल तकनीकी नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी भी है। सटीक डेटा संग्रहण और विभागीय समन्वय से ब्लैक स्पॉट की पहचान कर दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।
लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव सुखवीर सिंह ने कहा कि प्रदेश में 1041 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जिन पर लघु अवधि के सुधार कार्य पूर्ण हो चुके हैं। दीर्घकालिक सुधार 2027 तक लोक निर्माण विभाग और 2028 तक एमपीआरडीसी द्वारा पूरे किए जाएंगे।
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