नयी दिल्ली , नवम्बर 28 -- भारतीय सेना और 'सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज़' द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित दो दिन का 'चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025' आज सम्पन्न हो गया। 'बदलाव के लिए सुधार: सशक्त, सुरक्षित और विकसित भारत' विषय पर आधारित इस सेमिनार में भारत के उभरते सुरक्षा परिदृश्यों, रक्षा सुधारों और तकनीकी बदलावों के बीच नई वैश्विक चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई।

कार्यक्रम में विशेष संबोधन देते हुए राजदूत डी.बी. वेंकटेश वर्मा, सदस्य राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड, ने 'रेजिलियंट नेशनल सिक्योरिटी 2047' पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि सामरिक स्वायत्तता तभी सार्थक है जब भारत स्वतंत्र रूप से सोचने, निर्णय लेने और लड़ने की क्षमता रखता हो तथा बाहरी संबंध उसकी कमजोरी न बनें। श्री वर्मा ने एक ऐसे सैन्य सिद्धांत की आवश्यकता पर जोर दिया जो बिना बाहरी हस्तक्षेप के क्रियान्वित किया जा सके और मजबूत रक्षा-औद्योगिक आधार, सुरक्षित तकनीकी विकल्प तथा कम आर्थिक निर्भरता जिसकी ताकत हो।

उन्होंने कहा कि सामरिक स्वायत्तता समाजिक कारकों जैसे राष्ट्रीय आत्मविश्वास, रक्षा में निवेश की इच्छा और आधुनिक युद्ध के लिए प्रशिक्षित जनशक्तिपर भी निर्भर करती है। इसी के साथ उन्होंने तेज सुधार, अधिक रक्षा खर्च, मजबूत अनुसंधान और विकास तथा एकीकृत संयुक्त सैन्य ढाँचे की आवश्यकता भी रेखांकित की।

पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार राजदूत पंकज सरन ने कहा कि आधुनिक युद्ध में प्रौद्योगिकी की भूमिका अब निर्णायक और अपरिहार्य बन चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रौद्योगिकी न केवल युद्ध के स्वरूप को बदल रही है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों के मूल में आ चुकी है।

डायलॉग के अंतिम दिन के सत्रों में वैश्विक विशेषज्ञों ने ए आई, स्वायत्त प्रणालियाँ, हाइपरसोनिक्स और साइबर क्षमताओं जैसे विघटनकारी तकनीकों पर विचार रखा। वक्ताओं ने बताया कि ये युद्ध की प्रकृति को तेजी से बदल रही हैं। उन्होंने भारत की सेनाओं को अधिक एकीकृत, फुर्तीली और आधुनिक बनाने के लिए आवश्यक सुधारों पर भी प्रकाश डाला।

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