दुर्ग , अक्टूबर 05 -- छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में अब घरों से निकलने वाला कचरा किसी बोझ की तरह नहीं, बल्कि ऊर्जा का नया स्रोत बनने जा रहा है। भिलाई नगर निगम अपने क्षेत्र में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट स्थापित करने की तैयारी में जुट गया है। इस प्लांट में घरों से निकलने वाले गीले कचरे से बायोगैस तैयार की जाएगी, जिसका उपयोग रसोई गैस व अन्य घरेलू कार्यों में किया जा सकेगा।
निगम प्रशासन ने इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए कुरूद क्षेत्र में पांच एकड़ जमीन चिन्हांकित कर ली है। बताया जा रहा है कि यह छत्तीसगढ़ का पहला नगर निगम होगा, जो इस स्तर पर कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाने जा रहा है।
नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, भिलाई नगर निगम, जिला प्रशासन और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के बीच कुछ माह पहले इस परियोजना को लेकर एमओयू किया जा चुका है। अब प्लांट के संचालन, देखरेख और कार्यारंभ हेतु टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। उम्मीद है कि आने वाले दो माह में कार्य प्रारंभ हो जाएगा।
वर्तमान में दुर्ग जिले के चारों नगर निगम - भिलाई, दुर्ग, रिसाली और भिलाई-चरोदा - से प्रतिदिन करीब 150 मीट्रिक टन से अधिक कचरा निकलता है। अकेले भिलाई से प्रतिदिन 200 टन कचरा एकत्र होता है, जिसमें से लगभग 40 प्रतिशत गीला कचरा होता है। प्रस्तावित प्लांट में प्रतिदिन 150 से 200 टन गीले कचरे की आवश्यकता होगी, जिसे जिले के सभी निकायों से एकत्र कर उपयोग में लाया जाएगा।
निगम अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना से कचरा प्रबंधन की बड़ी चुनौती का समाधान होगा। फिलहाल निकायों द्वारा कचरे को सेग्रीगेशन प्लांट में छांटकर खाद निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन बायोगैस प्लांट लगने के बाद इसी कचरे से ऊर्जा तैयार की जाएगी।
यह पहल न केवल स्वच्छता मिशन को नई दिशा देगी, बल्कि कचरे से ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भिलाई को एक मॉडल सिटी के रूप में स्थापित भी करेगी।
हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित