अमृतसर , दिसंबर 22 -- गुरु ग्रंथ साहिब से जुड़े एक मामले में पंजाब सरकार की एसआईटी के गठन की घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने सोमवार को कहा है कि धर्म और धार्मिक संस्थानों के आंतरिक प्रशासनिक मामलों में सरकारों का हस्तक्षेप न केवल अनावश्यक है, बल्कि सिख परंपराओं के विरुद्ध और श्री अकाल तक़्त साहिब के लिए एक सीधा खतरा है। उन्होंने कहा कि धार्मिक मामलों का राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।
श्री धामी ने स्पष्ट किया कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब से संबंधित इस मामले पर श्री अकाल तक़्त साहिब द्वारा पहले ही एक जांच समिति गठित की जा चुकी थी, जिसने पूरी गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ जांच की। इस जांच के बाद, श्री अकाल तक़्त साहिब के जत्थेदार द्वारा जारी आदेशों के अनुसार, एसजीपीसी द्वारा आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गयी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस मामले में किसी को भी कोई रियायत नहीं दी गयी है और जांच के दौरान उठाये गये सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई की गयी है।
एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि जांच समिति की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया है कि यह मामला कुछ कर्मचारियों द्वारा धन के गबन से संबंधित है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा जानबूझकर इसे राजनीतिक रंग देना सिख भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने के समान है, जो किसी भी तरह से उचित नहीं है। ऐसा करके सरकार श्री अकाल तक़्त साहिब की सर्वोच्चता को चुनौती दे रही है।
एडवोकेट धामी ने आरोप लगाया कि पंजाब की वर्तमान सरकार अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है, जो राज्य की शांति और कल्याण के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि श्री अकाल तक़्त साहिब सिख समुदाय का सर्वोच्च धार्मिक स्थल है, जिसके निर्णय अंतिम और सिखों के हित में सर्वोत्तम हैं। जब श्री अकाल तक़्त साहिब के आदेशों के अनुसार दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है, तो इस मामले का बार-बार राजनीतिकरण करना राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर अपराध के समान है।
सरकार को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि सिख भावनाओं से जुड़े मामलों में निर्णय लेने से बचना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति सिख समुदाय की निर्वाचित सर्वोच्च संस्था है और सिख समुदाय इसके अधिकार क्षेत्र में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा।
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