कुरुक्षेत्र , नवंबर 25 -- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुओं की सीख को व्यक्तिगत व्यवहार में शांति, देश की नीतियों में संतुलन और समाज में विश्वास का आधार बनाये जाने का आह्वान करते हुए कामना की है कि उनके संदेश भारत की प्रगति और युवा पीढ़ी की प्रेरणा में सहायक हों।

श्री मोदी ने गुरुतेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस पर यहां आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, " श्रीगुरु तेग बहादुर साहिब की शिक्षाएं हमारे आचरण में शांति, हमारी नीतियों में संतुलन और हमारे समाज में विश्वास का आधार बनें, यही इस अवसर का सार है।"हरियाणा के राज्यपाल असीम घोष, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल, हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में कार्यक्रम में जुटे लोगों को सबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा, "आज जिस तरह से पूरे देश में, श्रीगुरु तेग बहादुर का यह शहीदी दिवस मनाया जा है, वह यह बताता है, कि गुरुओं की सीख आज भी हमारे समाज की चेतना में कितनी जीवंत है।"उन्होंने लोगों को शुभकामनाएं देते हुए कामना की "ये सारे आयोजन, भारत को आगे ले चलने में, हमारी युवा पीढ़ी की सार्थक प्रेरणा बने।"प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर पर धर्मध्वजा की प्रतिष्ठा में भाग लेने के बार धर्म क्षेत्र कुरुक्षेत्र में इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि आज का दिन भारत की विरासत का अद्भुत संगम बनकर आया है। उन्होंने इस आयोजन में उपस्थित संतों और सम्मानित संगत को नमन किया।

श्री मोदी ने याद किया कि साल 2019 में नौ नवंबर को जब राम मंदिर पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय आया था, तो वह उस दिन करतारपुर कॉरिडॉर के उद्घाटन के लिए डेरा बाबा नानक में थे। उन्होंने कहा, " मैं यही प्रार्थना कर रहा था कि राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो, करोड़ों राम भक्तों की आकांक्षा पूरी हो और हम सभी की प्रार्थना पूरी हुई, उसी दिन राम मंदिर के पक्ष में निर्णय आया।"उन्होंने कहा कि अब आज अयोध्या में धर्मध्व्जा की स्थापना के दिन उन्हें सिख संगत से आशीर्वाद लेने का मौका मिला है।

श्री मोदी ने आज ही इस कार्यक्रम से पहले पहले कुरुक्षेत्र में पांचजन्य स्मारक के लोकार्पण का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इसी धरती पर खड़े होकर भगवान श्री कृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा को सबसे बड़ा धर्म बताया था। उन्होंने कहा था, "स्वधर्म निधन श्रेयः। अर्थात्, सत्य के मार्ग पर अपने धर्म के लिए प्राण देना भी श्रेष्ठ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री गुरु तेगबहादुर जी ने भी सत्य, न्याय और आस्था की रक्षा को अपना धर्म माना, और इस धर्म की रक्षा उन्होंने अपने प्राण देकर की।

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