फगवाड़ा , अक्टूबर 10 -- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई पर अधिवक्ता राकेश किशोर द्वारा जूता फेंके जाने की घटना के विरोध में शुक्रवार को कई अनुसूचित जाति (एससी) संगठनों और राजनीतिक दलों के सदस्यों ने फगवाड़ा में विरोध प्रदर्शन किया।
गुरु रविदास टाइगर फोर्स पंजाब, अंबेडकर सेना मूलनिवासी, भगवान वाल्मीकि एक्शन कमेटी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य और नेता पूर्वाह्न 11:30 से दोपहर 12:00 बजे के बीच हरगोबिंद नगर स्थित अंबेडकर पार्क में एकत्रित हुए। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और उस पर 'मनुवादी' विचारधारा को बढ़ावा देने और आरोपी वकील के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।
सभा को संबोधित करते हुए, अंबेडकर सेना मूलनिवासी (फगवाड़ा) के अध्यक्ष बलविंदर बोध ने इस कृत्य की कड़ी निंदा की और इसे भारत के मुख्य न्यायाधीश का अपमान करने का एक निंदनीय प्रयास बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी, एडवोकेट राकेश किशोर, मनुवादी विचारधारा से प्रभावित थे और दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे तत्वों का समर्थन कर रही है।
श्री बोध ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लगाने में सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए पूछा कि पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक के खिलाफ तो यह कानून इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकारी के खिलाफ घृणित कृत्य करार देने वाले वकील के खिलाफ क्यों नहीं। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि राकेश किशोर के विरुद्ध एनएसए लगाया जाये और उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाये। अंबेडकर पार्क में प्रदर्शन के बाद, प्रदर्शनकारियों ने हरगोबिंद नगर चौक तक मार्च किया, जहां उन्होंने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए आरोपी वकील का पुतला फूंका।
इससे पहले दिन में हुए एक अलग विरोध प्रदर्शन में, आम आदमी पार्टी की अनुसूचित जाति शाखा के सदस्य भी इस घटना पर अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए फगवाड़ा में एकत्रित हुये। आप अनुसूचित जाति शाखा (दोआबा) के प्रभारी और फगवाड़ा सुधार ट्रस्ट के अध्यक्ष जरनैल नांगल के नेतृत्व में, प्रदर्शनकारी रेस्ट हाउस में एकत्र हुए और बाद में हरगोबिंद नगर चौक की ओर मार्च किया। उन्होंने केंद्र सरकार पर जाति-आधारित भेदभाव को बढ़ावा देने और न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
अपने विरोध प्रदर्शन के समापन पर आप अनुसूचित जाति इकाई के सदस्यों ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का पुतला जलाया और आरोप लगाया कि सरकार दलित विरोधी नीतियों को बढ़ावा दे रही है तथा अनुसूचित जाति समुदाय के नेताओं पर हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से बचा रही है। दोनों प्रदर्शनों में दलित संगठनों और कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश दिखाई दिया, जिन्होंने जूता फेंकने की घटना को न केवल एक व्यक्ति पर हमला माना, बल्कि न्यायपालिका और समग्र रूप से अनुसूचित जाति समुदाय की गरिमा पर हमला माना।
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