नयी दिल्ली , नवंबर 23 -- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि सीमाएं बदल सकती हैं। क्या पता पाकिस्तान में चला गया सिंध का क्षेत्र कल फिर से भारत में वापस आ जाए।
श्री सिंह ने रविवार को यहां विज्ञान भगवन में आयोजित सिंधि समाज से सम्मेलन में बोलते हुए कहा, "आज सिंध की ज़मीन भारत का हिस्सा भले न हो, लेकिन सभ्यता के हिसाब से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा। जहाँ तक ज़मीन की बात है, तो सीमाएं बदल सकती हैं। कौन जानता है, कल सिंध फिर से भारत में वापस आ जाए।"उन्होंने कहा, "सिंध के हमारे लोग, जो सिंधु नदी को पवित्र मानते हैं, हमेशा हमारे अपने रहेंगे। चाहे वे कहीं भी हों वे हमेशा हमारे रहेंगे।"इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिग्गज नेता एवं पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के एक कोट का ज़िक्र करते हुए कहा, "मैं यहाँ लाल कृष्ण आडवाणी का भी ज़िक्र करना चाहूँगा। उन्होंने अपनी एक किताब में लिखा था कि सिंधी हिंदू, खासकर उनकी पीढ़ी के लोग, अभी भी सिंध को भारत से अलग नहीं मानते हैं। सिर्फ़ सिंध में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हिंदू सिंधु नदी को पवित्र मानते है। सिंध में कई मुसलमान भी मानते है कि सिंधु का पानी मक्का के आब-ए-ज़मज़म से कम पवित्र नहीं है। यह आडवाणी का कोट है।"श्री सिंह ने कहा कि सिंध क्षेत्र, जिसे सिंधी लोगों का गृहभूमि कहा जाता है, भारत की सभ्यता का एक अहम हिस्सा रहा है। यह सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र भी था। साल 1947 में देश के बंटवारे के साथ यह इलाका पाकिस्तान का हिस्सा बन गया।
उन्होंने कहा कि सिंधी समाज देश के लिए और अपनी मातृभूमि के लिए हमेशा खड़ा रहा है। जिसने स्वाधीनता संग्राम में योगदान दिया। उन्होंने कहा, "जिस समाज के पुरुषों और महिलाओं ने भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। उस समाज के लोगों के प्रति हमारा दायित्व है कि वे सम्मान के साथ जिये।"उन्होंने कहा कि भारत के विभाजन के कारण सिंधु नदी का एक बड़ा हिस्सा आज पाकिस्तान में चला गया है। पूरा सिंध प्रांत ही आज पाकिस्तान में है। मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि सिंधु, सिंध और सिंधी समाज का महत्व हमारे लिए आज कम हो गया है। हमारे लिए उनका महत्व आज भी उतना है जितना हज़ारों साल से रहा है।
उन्होंने कहा, "आज हम जब सिंधी समाज की बात करते हैं, तो हम केवल एक समुदाय की बात नहीं करते, बल्कि एक ऐसी विरासत की बात करते हैं, जो सनातन का अटूट हिस्सा है। जिसकी जड़ें भगवान राम से जुड़ी हुई हैं। जिसने हमारी संस्कृति और सभ्यता को समृद्धध करने में बहुमूल्य योगदान दिया है।"उन्होंने कहा कि विभाजन के कठिन दौर में जब सिंधी समाज को अपनी जन्मभूमि छोड़नी पड़ी, पलायन करना पड़ा, तब भी आपने हिम्मत नहीं हारी। आपने न केवल अपने लिए एक नई शुरुआत की, बल्कि व्यापार, शिक्षा, कला और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया।
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