नयी दिल्ली , अक्टूबर 11 -- दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कोविड महामारी के दौरान अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए जीवन गंवाने वाले 11 सरकारी कर्मियों के परिजनों को शनिवार को एक-एक करोड़ रूपये की सहायता राशि के चेक प्रदान किए।
श्रीमती गुप्ता ने आज यहां आयोजित एक समारोह में कहा , "यह सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि उनके प्रति हमारी गहरी कृतज्ञता और विनम्र श्रद्धांजलि है। इन कर्मवीरों का साहस और निस्वार्थ सेवा सदा हमारे दिलों में अमर रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को कर्तव्य, करुणा और समर्पण की प्रेरणा देती रहेगी।" उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की जान का मूल्य कोई सरकार नहीं चुका सकती, लेकिन सरकार का कर्तव्य है कि ऐसे परिवारों को हर संभव सहायता मिले। यह दिल्ली सरकार के लिए गर्व की बात है कि कोविड काल में अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा दिखाने वाले इन कर्मवीरों के परिवारों को अब सम्मानपूर्वक उनका हक मिला है। सरकार न केवल आर्थिक सहायता बल्कि अन्य जरूरतों व समस्याओं में भी इन परिवारों के साथ खड़ी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, " कोविड पूरे विश्व के लिए सिर्फ एक स्वास्थ्य संकट नहीं था, बल्कि यह लाखों परिवारों के लिए एक व्यक्तिगत त्रासदी भी रहा। आज हम उन सभी दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने इस महामारी में अपने प्राण गंवाए। यह सहायता राशि कोई मुआवजा नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार की संवेदना और समर्थन का प्रतीक है।" उन्होंने कहा कि जब पूरा देश महामारी के भय और अनिश्चितता से जूझ रहा था, तब सरकार के डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मियों, शिक्षकों और अग्रिम पंक्ति के अन्य कर्मचारियों ने अपने जीवन को जोखिम में डालकर जनता की सेवा की। इन कर्मवीरों ने न केवल अपने कर्तव्य को निभाया, बल्कि मानवता और समर्पण की मिसाल कायम की। दिल्ली सरकार इन कर्मवीरों के योगदान को सदा सम्मानपूर्वक याद रखेगी।
उन्होंने कहा कि यह खेदजनक है कि पिछली सरकारों ने इन परिवारों की सहायता के विषय में उदासीनता दिखाई, जबकि यह उनके अधिकार में था और नियमों के अनुसार उन्हें यह राशि मिलनी चाहिए था। उन्होंने कहा " जब पूरी दुनिया घरों में बंद थी, तब हमारे डॉक्टर, नर्स, सफाईकर्मी, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य सरकारी कर्मचारी दिन-रात ड्यूटी पर डटे रहे। ऐसे में यदि उनके परिवारों को वर्षों तक उनका हक न मिल पाना, उनके साथ गंभीर अन्याय है। आज दिल्ली की मौजूदा सरकार ने यह न्यायपूर्ण कदम उठाकर इन परिवारों को इनका अधिकार लौटाया है।
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