कोटा , नवम्बर 29 -- राजस्थान में कोटा में गीता सत्संग आश्रम समिति द्वारा 65वां गीता जयंती महोत्सव शनिवार से गीता भवन में शुरु हुआ।

आयोजकों ने बताया कि पहले दिन गीता पर सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें गीता के 18 अध्यायों को समझाया गया। वहीं गीता के विभिन्न प्रमुख श्लोकों पर विस्तृत सामूहिक चर्चा हुई।

पहले सत्र में संतोष गुप्ता ने गीता के पहले और दूसरे अध्याय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म बहुत दुर्लभ है। मनुष्य शरीर का सदुपयोग करना पड़ेगा। गीता के द्वारा शरीर का सदुपयोग सीख सकते हैं। इसका लक्ष्य भगवत प्राप्ति हो सकता है। भगवान की शरण होकर जीवन के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

दूसरे सत्र में सुधीर यादव ने गीता के तीसरे और चौथे अध्याय के मुख्य श्लोक पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि सर्वजन हिताय की प्रेरणा से किए कर्म से कल्याण की प्राप्ति हो सकती है। सृष्टि रचना का आधार भी यही है। गीता ज्ञान की प्राप्ति उसी को हो सकती है, जो पूर्ण श्रद्धा से भगवान की शरणागति प्राप्त करता है।

भगवान स्वरूप नवलखा ने पांचवें अध्याय की चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य योनि कर्म पर आधारित है। जबकि अन्य सभी जीव भोग योनि पर आधारित हैं।

इस दौरान आचार्य गीता अग्रवाल, नीरी भावनानी, डॉ. सुधीर उपाध्याय ने भी गीता के श्लोक पर विस्तृत चर्चा की। अध्यक्ष गोवर्धन खण्डेलवाल ने बताया कि एक दिसम्बर को श्री कृष्ण चैतन्य प्रेम भक्ति संकीर्तन के सौजन्य से सुबह साढ़े पांच बजे प्रभात फेरी निकाली जाएगी।

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