कॉर्बेट पार्क रामनगर , दिसंबर 24 -- उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में शीतकाल के दौरान मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं के बढने की आशंकाओं को लेकर अलर्ट जारी किया गया है एवं जनप्रतिनिधियों से सहयोग की अपील की गयी है।
जानकारी के अनुसार बीते वर्षों में सर्दियों के मौसम में मानव क्षति की कई घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। इन घटनाओं का प्रमुख कारण ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं द्वारा घास एवं जलौनी लकड़ी एकत्र करने के लिए वन क्षेत्रों में प्रवेश करना रहा है। शीतकाल में वन्यजीवों की गतिविधियाँ आबादी वाले क्षेत्रों के समीप बढ़ जाती हैं, जिससे जोखिम और अधिक हो जाता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व प्रशासन द्वारा मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम एवं न्यूनीकरण के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। पूरे क्षेत्र में अलर्ट घोषित किया गया है। वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी लगातार ग्रामों में जाकर गोष्ठियों का आयोजन कर रहे हैं। इसके साथ ही मुनादी, स्थानीय मीडिया और अन्य संचार माध्यमों के जरिए आमजन को जागरूक किया जा रहा है। ग्रामीणों से अपील की जा रही है कि वे सुरक्षा निर्देशों का पालन करें और शीतकाल के दौरान वन क्षेत्रों में अनावश्यक प्रवेश से बचें।
हालांकि, इसके बावजूद यह देखा गया है कि कुछ ग्रामीण सुरक्षा निर्देशों की अनदेखी करते हुए वन क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं। वन विभाग के अनुसार यह स्थिति स्वयं ग्रामीणों की जान-माल की सुरक्षा के लिए अत्यंत जोखिमपूर्ण है। ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
डॉ. साकेत बडोला (आईएफएस), निदेशक, कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व ने क्षेत्र के सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे अपने स्तर से ग्रामीणों को जागरूक करने में सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा कि शीतकाल के दौरान मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने और रोकने के लिए जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व प्रशासन ने आम जनमानस से भी अनुरोध किया है कि विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन करें। वन क्षेत्रों में अनावश्यक प्रवेश न करें और किसी भी आपात स्थिति में या आबादी के पास वन्यजीव दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी वन विभाग कार्यालय या वनकर्मियों को सूचना दें।
प्रशासन का कहना है कि जनप्रतिनिधियों और आम लोगों के सहयोग से ही मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में प्रभावी कमी लाकर जन-सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
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