तिरुवनंतपुरम , अक्टूबर 12 -- भारतीय राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) ने केरल सरकार द्वारा ट्रेड यूनियन पंजीकरण शुल्क में अचानक और भारी वृद्धि को श्रमिकों के संवैधानिक अधिकारों पर हमला बताते हुए इसके खिलाफ राज्यस्तरीय विरोध-प्रदर्शन की घोषणा की है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पंजीकरण शुल्क को 1,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिए हैं।
इंटक की ओर से ये विरोध-प्रदर्शन 14 अक्टूबर को तिरुवनंतपुरम में राज्य श्रम आयुक्त कार्यालय के सामने किया जाएगा। इंटक नेताओं ने चेतावनी दी है कि शुल्क वृद्धि राज्य में श्रमिकों के अधिकारों की बुनियाद को ही खतरे में डाल रही है।
सरकार ने ट्रेड यूनियनों के लिए पंजीकरण शुल्क 1,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया है। इसके विपरीत पश्चिम बंगाल सहित कई अन्य राज्य अभी भी यूनियनों को मात्र 5 रुपये में पंजीकरण की अनुमति देते हैं। इंटक के प्रदेश अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन ने इस बढ़ोतरी को "न केवल शुल्क वृद्धि बल्कि श्रमिक संगठनों का गला घोंटने और सामूहिक सौदेबाजी पर अंकुश लगाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास" बताया।
मौजूदा श्रम कानूनों के तहत कम से कम सात कर्मचारियों वाले किसी भी कंपनी या संस्थान को ट्रेड यूनियन बनाने का अधिकार है। इंटक का तर्क है कि अत्यधिक पंजीकरण शुल्क इस संवैधानिक अधिकार को कमजोर करता है और एक व्यापक श्रम-विरोधी एजेंडे का संकेत देता है। इंटक की एक बैठक में पेंशन रोकने, वेतन और महंगाई भत्ते में वृद्धि रोकने और श्रम कल्याण बोर्डों को कमजोर करने के लिए सरकार की आलोचना की गयी।
इंटक के प्रस्ताव में कहा गया है, "वामपंथी सरकार जो कभी मजदूर वर्ग की हिमायती होने का दावा करती थी, अब श्रमिक आंदोलनों को दबाते हुए कॉरपोरेट हितों की रक्षा कर रही है। यह शुल्क वृद्धि उस विश्वासघात का नवीनतम प्रमाण है।" चंद्रशेखरन ने केरल भर के मजदूरों और ट्रेड यूनियनों से 14 अक्टूबर के विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया और इस बात पर जोर दिया कि इस नीति का विरोध न केवल ट्रेड यूनियनों के लिए बल्कि समग्र समाज के लिए भी जरूरी और महत्वपूर्ण है।
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