कोच्चि , दिसंबर 21 -- वरिष्ठ मलयालम अभिनेता, पटकथा लेखक और फिल्मकार श्रीनिवासन को रविवार को भावभीनी विदाई दी गयी।

श्री श्रीनिवासन के अंतिम संस्कार का कार्यक्रम कोच्चि के उदयम्पेरूर के निकट कंदनाड में उनके निवास स्थान के आंगन में सरकारी सम्मान के साथ पूरा हुआ। इस बहुआयामी कलाकार के निधन से मलयालम सिनेमा और सांस्कृतिक केरल गहरे शोक में डूब गया है।

अंतिम संस्कार का कार्यक्रम सुबह 10 बजे शुरू हुआ। उनके बड़े बेटे विनीत श्रीनिवासन ने चिता को अग्नि दी, जबकि छोटे बेटे ध्यान श्रीनिवासन उनके बगल में खड़े होकर पिता को अंतिम सलामी दी। चिता के समीप परिवार के सदस्यऔर रिश्तेदार गमगीन हालत में मौजूद थे।

श्रीनिवासन के करीबी मित्र और लंबे समय के सहयोगी निर्देशक सत्यान अंतिकाड ने मार्मिक श्रद्धांजलि में, उनके शव पर एक कलम और एक हस्तलिखित नोट रखा, जिसमें लिखा था, "सभी को अच्छाई मिले।" यह प्रतीकात्मक इशारा श्रीनिवासन के जीवन और कार्यों में निहित मूल्यों तथा मानवीय दर्शन को दर्शाता है।

हजारों लोग प्रिय कलाकार के अंतिम दर्शन के लिए कंदनाड स्थित परिवार के घर पर उमड़ पड़े।

इससे पहले, एर्नाकुलम टाउन हॉल में उनके पार्थिव शरीर को जनता के दर्शन के लिए रखा गया था, जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। प्रशंसक, फिल्मी हस्तियां, राजनीतिक नेता और आम जनता घंटों लाइन में लगकर अंतिम सम्मान अर्पित करने पहुंचे, जिनमें से कई भावुक हो गए।

मुख्यमंत्री पी विजयन ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्रीनिवासन के निधन को मलयालम सिनेमा के लिए अपूरणीय क्षति बताया। कई मंत्री, सांसद और विधायक, जिनमें श्री पी राजीव, श्री साजी चेरियन, श्री एमए बेबी, श्री हिबी ईडन और श्री टीजे विनोद शामिल हैं, उपस्थित रहे।

फिल्मी सितारे मम्मूट्टी और श्री मोहनलाल ने अलग-अलग टाउन हॉल जाकर श्रद्धांजलि दी, जबकि विभिन्न पीढ़ियों के अभिनेता और फिल्मकार, जैसे श्री निविन पॉली और श्री मुकेश, कंदनाड निवास पर पहुंचे।

रविवार सुबह भी, जनता के दर्शन बंद होने के घंटों बाद भी लोग घर पर आते रहे, जो श्रीनिवासन के केरल के लोगों से गहरे भावनात्मक जुड़ाव को रेखांकित करता है।

श्रीनिवासन का निधन शनिवार सुबह 8:25 बजे त्रिपुनिथुरा तालुक अस्पताल में कई बीमारियों के इलाज के दौरान हुआ। वे 69 वर्ष के थे।

खबर सुनते ही उनके बड़े बेटे विनीत चेन्नई से और छोटे बेटे ध्यान कोझिकोड से (जहां वे शूटिंग कर रहे थे) वापस लौटे और अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

कन्नूर जिले के पट्टियम के रहने वाले श्रीनिवासन ने श्री पीए बैकर की 'मणिमुझक्कम' से अभिनय की शुरुआत की। उन्होंने 1984 में श्री प्रियदर्शन की 'ओदारुथम्मावा आलारियम' से मलयालम सिनेमा में पटकथा लेखक के रूप में प्रवेश किया।

लगभग पांच दशकों के शानदार करियर में उन्होंने 54 फिल्मों की पटकथा लिखी और दो का निर्देशन किया, जिससे मलयालम सिनेमा के कुछ सबसे महत्वपूर्ण कार्यों को आकार दिया। उनकी अधिकांश पटकथाएं सत्यान अंतिकाड और श्री प्रियदर्शन के लिए लिखी गईं।

हास्य को तीक्ष्ण सामाजिक आलोचना से जोड़ने के लिए प्रसिद्ध श्री श्रीनिवासन के पात्र और संवाद आम लोगों से गहराई से जुड़े और रोजमर्रा की मलयाली जिंदगी का हिस्सा बन गए।

'गांधीनगर सेकंड स्ट्रीट', 'नाडोडिक्काट्टू', 'वडक्कुनोमयंत्रम' और 'संदेशम' जैसी फिल्में कालजयी क्लासिक्स बनी हुई हैं। उन्होंने पांच बार केरल राज्य फिल्म पुरस्कार जीता और सामाजिक रूप से प्रासंगिक कथावाचन के लिए राष्ट्रीय प्रशंसा प्राप्त की।

सिनेमा के अलावा,श्री श्रीनिवासन अपनी सादगी और प्रकृति प्रेम के लिए जाने जाते थे। 2012 में कंदनाड में जमीन खरीदने के बाद उन्होंने इसे हरा-भरा स्थान बना दिया, जो टिकाऊ जीवन के प्रति उनकी शांत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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