तिरुवनंतपुरम , दिसंबर 23 -- केरल के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में स्थापित राज्य के पहले स्किन बैंक ने स्किन प्रसंस्करण शुरू कर दिया है, जो गंभीर रूप से जले हुए और ट्रॉमा पीड़ितों के इलाज की राज्य की क्षमता में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। इस प्रक्रिया में जले हुए मरीजों के लिए दान की गई त्वचा का उपयोग करके उपचार में तेजी आएगी और दर्द कम होगा।
इसमें दाता की स्किन को खास तापमान-नियंत्रित स्थितियों में संरक्षित किया जाता है और यह लगभग तीन सप्ताह तक चलने वाले रासायनिक प्रसंस्करण चक्र से गुजरता है। प्रसंस्करित होने के बाद इसे एडवांस्ड प्लास्टिक सर्जरी तकनीकों का उपयोग करके मरीजों पर इस्तेमाल किया जाता है।
यह प्रक्रिया उन मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है जिन्हें जलने या दुर्घटनाओं के कारण बड़े पैमाने पर त्वचा के नुकसान का सामना करना पड़ता है। यह जान बचाने में अहम भूमिका निभाती है। यह एक प्रक्रिया के तहत बायोलॉजिकल ड्रेसिंग का काम करती है, जो घायल जगहों पर एक सुरक्षात्मक परत प्रदान करती है। यह संक्रमण और दर्द को भी कम करने अहम भूमिका निभाती है। यह शरीर से तरल पदार्थ, खनिज और नमक के नुकसान को भी कम करती है, जिससे जिंदा रहने और ठीक होने की संभावना बेहतर होती है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि राज्य में जले हुए पीड़ितों के लिए विश्व स्तर की इलाज सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए स्किन बैंक स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि 6.75 करोड़ रुपये की लागत से बर्न्स यूनिट के साथ स्थापित इस सुविधा का उद्घाटन इस साल सितंबर में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने किया था। सुश्री जार्ज ने कहा कि कोट्टायम के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एक और स्किन बैंक स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
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