रांची, 12अक्टूबर (वार्ता) झारखंड के आदिवासी समाज ने रविवार को कुड़मी समाज की ओर से खुद को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग को लेकर रांची में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया।
राज्य के विभिन्न जिलों से पारंपरिक परिधान, तीर-धनुष, भाला, हंसिया और दाब के साथ हज़ारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग मोरहाबादी मैदान रांची पहुंचे।
मोरहाबादी पद्मश्री रामदयाल मुंडा फुटबॉल स्टेडियम तक आक्रोश महारैली निकाली गई, जिसमें आदिवासी महिलाओं की भागीदारी भी ऐतिहासिक रही। इस महारैली में केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी नारी सेना, आदिवासी क्षेत्र सुरक्षा समिति, आदिवासी एकता मंच, आदिवासी अधिकार मंच समेत कई संगठनों के सदस्य सरना झंडे के साथ एकजुट होकर शामिल हुए।
जनसभा में आदिवासी संगठनों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि कुड़मी समाज को एसटी में शामिल करने का प्रयास आदिवासियों के अधिकारों और अस्तित्व पर सीधा हमला है, जिसे वे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।
वक्ताओं ने विपक्षी विधायकों जेएलकेएम विधायक जयराम महतो और देवेंद्रनाथ महतो के खिलाफ नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि ये नेता राजनीतिक स्वार्थ की खातिर कुड़मी समाज को भड़का रहे हैं। आदिवासी समुदाय का कहना है कि अंग्रेजों के शासनकाल से कुड़मी समाज खुद को आदिवासी से अलग मानता रहा है, लेकिन संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा एसटी, एससी समुदायों की बेहतरी के लिए किए गए विशेष प्रावधानों के चलते अब उन्हें हमारे हक में हिस्सेदारी का लालच हो रहा है।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा, "हमारे अस्तित्व की लड़ाई है। आदिवासी समुदाय कमजोर नहीं है। 2018 में भी हमने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया था। कोर्ट और ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (टीआरआई) ने पहले ही कुड़मी समाज की एसटी में शामिल होने की मांग को नकार दिया है। यह केवल वोट बैंक की राजनीति है, जिसे राज्य का आदिवासी समुदाय कभी स्वीकार नहीं करेगा।"आक्रोश महारैली में शामिल सैकड़ों आदिवासी महिलाओं ने भी स्पष्ट कहा-"झारखंड की आदिवासी महिलाएं शेरनी हैं, उनका अधिकार कोई नहीं छीन सकता।" उन्होंने आरोप लगाया कि कुड़मी समाज के नेता भावनाओं को भड़का रहे हैं, लेकिन वे अपने हक की रक्षा के लिए पूर्णतः सजग और एकजुट हैं।
आदिवासी संगठन ने घोषणा की कि यह आंदोलन केवल रांची तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे राज्य में बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। सभा के अंत में सभी संगठनों ने कुड़मी समाज की एसटी की मांग को पूरी तरह खत्म होने तक विरोध जारी रखने की शपथ ली।
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