भोपाल , अक्टूबर 10 -- मध्यप्रदेश के किसानों की लगातार बिगड़ती स्थिति को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है। बैठक में अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों के प्रति सरकार के गैर-जिम्मेदार रवैये, खाद संकट, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी में विफलता, भावान्तर योजना के नाम पर किसानों को ठगने की प्रवृत्ति, बिजली की आपूर्ति और स्मार्ट मीटर की समस्या, लैंड पूलिंग और कृषि भूमि अधिग्रहण की गलत नीतियों पर गंभीर चर्चा की गई।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इन हालातों के कारण मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं। हाल ही में कुछ सोयाबीन किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हुए हैं, बावजूद इसके सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। मोर्चा ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजने और किसानों से अविलम्ब चर्चा करने की मांग की है।

यदि सरकार समाधान नहीं देती है तो आंदोलन दो चरणों में किया जाएगा। पहले चरण में 15 अक्टूबर को प्रदेश भर में कलेक्टरी और तहसीलों पर प्रदर्शन कर ज्ञापन प्रस्तुत किया जाएगा। दूसरा चरण 27 अक्टूबर को राजधानी भोपाल में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का होगा।

बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा ने 10 प्रमुख मांगें रखीं। उन्होंने कहा कि भावान्तर योजना को वापस लिया जाए और सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी सुनिश्चित की जाए। धान की इस वर्ष की खरीद मूल्य 3300 रुपये प्रति क्विंटल घोषित की जाए। अतिवृष्टि से हुए नुकसान का पूरा मुआवजा दिया जाए और बीमा कंपनियों की धोखाधड़ी रोकी जाए। किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त खाद उपलब्ध कराया जाए। नकली खाद और बीज के व्यापारियों व इसमें मदद करने वाले अधिकारियों को दंडित किया जाए।

वही लैंड पूलिंग और जबरिया अधिग्रहण रोका जाए, और भूमि अधिग्रहण केवल मुआवजा और पुनर्वास के साथ किया जाए। किसानों को कम से कम 12 घंटे बिजली दी जाए और स्मार्ट मीटर की योजना रद्द की जाए। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा और एक आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाए। मुक्त व्यापार समझौतों के कृषि पर असर से किसानों को बचाया जाए और कपास उत्पादक किसानों को हुए घाटे की पूर्ति की जाए। रबी की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य को उचित स्तर पर तय किया जाए।

बैठक की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू टिकैत) के अनिल यादव ने की। बैठक में अखिल भारतीय किसान सभा, मप्र किसान सभा, किसान जाग्रति संगठन, बीकेयू (महाशक्ति) सहित कई किसान नेता उपस्थित रहे। कई अन्य किसान नेताओं ने भी बैठक के निर्णयों का समर्थन किया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित