पटना , दिसंबर 25 -- बिहार कृषि विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने गुरूवार को कहा कि किसानों को उचित मूल्य तथा समय पर उर्वरक उपलब्ध कराना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
श्री कुमार ने आज बयान जारी कर कहा कि राज्य के किसी भी जिले में वर्तमान में उर्वरक की कोई कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि 24 दिसंबर 2025 की स्थिति के अनुसार राज्य में 2.37 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 1.23 लाख मीट्रिक टन डीएपी, 2.10 लाख मीट्रिक टन एनपीके, 0.40 लाख मीट्रिक टन एमओपी तथा 1.11 लाख मीट्रिक टन एसएसपी का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि यह भंडार रबी फसलों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त है और किसानों को समय पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है।
प्रधान सचिव ने कहा कि उर्वरक की कालाबाजारी, तस्करी एवं अधिक मूल्य पर विक्रय को रोकने के लिए कृषि विभाग की तरफ से सख्त निगरानी रखी जा रही है तथा लगातार छापामारी अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रबी मौसम 2025-26 के दौरान 24 दिसंबर 2025 तक अनियमितताओं के विरुद्ध 31 उर्वरक प्रतिष्ठानों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है तथा कुल 83 उर्वरक प्रतिष्ठानों का उर्वरक प्राधिकार पत्र रद्द किया गया है। उर्वरक प्रतिष्ठानों की जांच एवं छापामारी के लिए मुख्यालय स्तर पर उड़नदस्ता दल का गठन किया गया है, जो प्राप्त शिकायतों के आधार पर निरंतर कार्रवाई कर रहा है।
श्री कुमार ने बताया कि जिला स्तर के कृषि पदाधिकारी जीरो ऑफिस डे के तहत ऊर्वरक प्रतिष्ठानों की जांच के साथ साथ किसानों से संवाद कर रहे हैं।उन्होंने यह निर्देश दिया कि जहां जिला स्तरीय एवं प्रखण्ड स्तरीय उर्वरक निगरानी समितियों की बैठकें अब तक आयोजित नहीं हुई हैं, वहाँ यथाशीघ्र बैठक सुनिश्चित की जाए। प्रखण्डवार उर्वरक का उप-आवंटन वास्तविक आवश्यकता एवं आच्छादन के आधार पर करने का निर्देश दिया गया है।
प्रधान सचिव ने कहा कि उर्वरक प्रतिष्ठानों पर पॉस मशीन में प्रदर्शित स्टॉक एवं वास्तविक उपलब्ध स्टॉक में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इसके अतिरिक्त सरकार की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे जिलों में विशेष छापामारी दल गठित कर सशस्त्र सीमा बल के साथ समन्वय स्थापित करते हुए उर्वरक की तस्करी पर प्रभावी रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं।
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