नयी दिल्ली , नवंबर 24 -- केंद्रीय संसदीय एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को भारत वापस लाने के लिए सोमवार को भूटान रवाना हुआ।

भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष सार्वजनिक प्रदर्शनी के लिए भूटान ले जाये गये थे।

श्री रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपडेट साझा करते हुए लिखा, "भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों (नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थापित) की वापसी के लिए प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए भूटान रवाना हो रहा हूँ, जिन्हें सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए भूटान लाया गया था।" इन पवित्र अवशेषों को अगले दिन, 25 नवंबर, 2025 को भारत वापस लाया जाएगा।

यह भारत और भूटान के बीच गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को रेखांकित करता है और भूटान के लोगों से इस प्रदर्शनी को मिले अपार सम्मान को दर्शाता है।

भूटान के लोगों की अपार श्रद्धा दोनों देशों की साझा आध्यात्मिक विरासत का प्रमाण है। भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय भूटान के अनुरोध को स्वीकार करके गौरवान्वित है, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर मिला है। इस आयोजन ने दोनों देशों के बीच मैत्री और पारस्परिक सम्मान के संबंधों को और मज़बूत किया है।

यह प्रदर्शनी भारत-भूटान संबंधों में एक ऐतिहासिक घटना है, जो साझा बौद्ध विरासत का उत्सव मनाती है तथा विश्वास और सहयोग के विशेष बंधन को मजबूत करती है।

9 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पवित्र अवशेषों के 10 दिवसीय सार्वजनिक प्रदर्शन के दौरान गर्मजोशी भरे और सम्मानजनक स्वागत के लिए भूटान के नेतृत्व और जनता का आभार व्यक्त किया था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये अवशेष शांति, करुणा और सद्भाव की शाश्वत शिक्षा के प्रतीक हैं और दोनों देशों के बीच साझा आध्यात्मिक विरासत को मज़बूत करते हैं।

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय से लाए गए इन अवशेषों को 8 से 18 नवंबर तक भूटान में प्रदर्शित किया गया, जिससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और प्रगाढ़ हुए।

भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने पवित्र अवशेषों को भूटान भेजने की सुविधा प्रदान करने के लिए भारत के प्रति आभार व्यक्त किया।

इस प्रदर्शनी ने शांति, करुणा और एकता का संदेश दिया और भूटान और भारत के बौद्ध धर्म पर आधारित मजबूत संबंधों की पुष्टि की। यह भारत की अपनी बौद्ध विरासत को वैश्विक स्तर पर साझा करने की व्यापक पहल का हिस्सा है। इससे पहले मंगोलिया, थाईलैंड, वियतनाम और रूस के कलमीकिया क्षेत्र में ऐसी प्रदर्शनियां लगाई जा चुकी है।

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