नैनीताल , सितम्बर 09 -- उत्तराखंड की किच्छा नगर पालिका के चुनाव नहीं कराये जाने के मामले में प्रदेश सरकार बुरी तरह घिर गई है। उच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि अभी तक नगर पालिका चुनाव क्यों नहीं कराये गये हैं।

इस मामले को किच्छा निवासी नैमुलशान खान, मोहम्मद यासीन और मोहम्मद रफीक की ओर पृथक-पृथक रूप से दायर याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है। साथ ही न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने इन पर सुनवाई की।

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार किच्छा नगर पालिका का चुनाव नहीं करवा रही है। नगर पालिका चुनाव वर्ष 2023 से नहीं हुए हैं। तब से नगर पालिका में प्रशासक तैनात किया गया है।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में किच्छा नगर पालिका का विस्तार करते हुए पहले मुस्लिम बाहुल्य वाले सिरौलीकलां को किच्छा नगर पालिका में शामिल किया और कुछ समय बाद एक अधिसूचना जारी कर सिरौलीकलां के चार वार्डों को नगर पालिका से बाहर करने का निर्णय ले लिया।

उच्च न्यायालय ने ने सरकार के इस कदम पर रोक लगा दी। हालांकि सरकार की ओर से दलील दी गई कि सिरौली कलां के चार वार्डों को सरकार स्वतंत्र नगर पालिका का दर्जा दे रही है। सिरौली कलां की जनसंख्या 25000 से अधिक है।

अंत में पीठ ने सरकार से पूछा कि वह हलफनामा दायर कर बताये कि अभी तक चुनाव क्यों नहीं कराये गये हैं? अदालत इस मामले में आगामी 03 नवम्बर को सुनवाई करेगी।

यहां बता दें कि इन मामलों में पहले मुख्य न्यायाधीश जी0 नरेंदर की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सुनवाई की लेकिन इसके बाद खंडपीठ ने इस मामले को एकलपीठ को भेज दिया।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित