नैनीताल , नवम्बर 26 -- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) से वन गूर्जरों के विस्थापन के मामले में बुधवार को सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह में सीटीआर के पुनर्गठन से संबंधित अधिसूचना (नोटिफिकेशन) अदालत में पेश करने के निर्देश दिये हैं।

सीटीआर के ढेला और झिरना जोन में रहने वाले अब्दुल रहमान समेत 57 वन गुर्जरों की ओर से इस मामले को एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्दर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की युगलपीठ में इस प्रकरण पर सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि वह लंबे समय से सीटीआर के आरक्षित वन क्षेत्र में रहते आ रहे हैं। वर्ष 1991 में सीटीआर के पुनर्गठन के चलते वह आरक्षित वन क्षेत्र से सीटीआर के बफर जोन में शामिल हो गये। तब से लेकर आज तक वह बफर जोन में रहते आ रहे हैं।

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